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Wednesday, October 10, 2018

ट्रस्टों के कब्जे में सरकारी बंगलों के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने दी 4 माह की मोहलत

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में ट्रस्टों के कब्जे में सरकारी बंगलों के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने स्टेटस रिपोर्ट मांगी है.

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में मुख्यमंत्रियों ने सरकारी बंगले खाली कर दिए, मगर तीन ट्रस्टों ने अब तक कब्जा जमा रखा है. मामला संज्ञान में आने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रुख अख्तियार किया है.
विभिन्न ट्रस्टों द्वारा सरकारी बंगलों को खाली करने के संबंध में 1 अगस्त, 2016 को पारित अपने पहले आदेश को लागू करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने यूपी के चीफ सेक्रेटरी को 4 महीने का समय दिया. सुप्रीम कोर्ट ने चार महीने बाद स्टेटस रिपोर्ट भी मांगा है. बता दें कि 5 पूर्व सीएम पहले से ही बंगले खाली कर चुके हैं, जबकि 3 ट्रस्टों द्वारा कब्जा किये गये, बंगले को अभी तक खाली नहीं कराया गया है.
दरअसल सामाजिक संस्था लोकप्रहरी ने लखनऊ में पूर्व मुख्यमंत्रियों और ट्रस्टों के बंगलों पर कब्जे को लेकर केस दाखिल किया था. कहा था कि पूर्व मुख्यमंत्रियों से बंगले खाली कराए जाएं. क्योंकि ऐसी कोई आधिकारिक व्यवस्था नहीं है. एक अगस्त 2016 में जब सुप्रीम कोर्ट ने दो महीने के भीतर बंगले खाली कराने के आदेश दिए तो भी पालन में देरी हुआ. इस पर याची संस्था ने पूर्व मुख्यमंत्रियों से बंगले देरी से ख़ाली करने पर बंगलों का मार्केट रेट से किराया वसूलने की मांग की गई है. पूर्व मुख्यमंत्रियो को 30 सितंबर 2016 तक बंगले खाली करने थे, लेकिन किसी पूर्व मुख्यमंत्री ने तय समय सीमा में बंगले खाली नहीं किए.
इस पर पिछले साल चार जनवरी 2017 को यूपी सरकार नया कानून ले आई. जिसमें यूपी में पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकारी बंगला आवंटित करने का नियम बना दिया गया. जबकि सुप्रीम कोर्ट के अगस्त 2016 के पुराने आदेश के मद्देनज़र नेताओं को 30 सितबंर 2016 तक सरकारी बंगले खाली करने थे. इसे याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवमानना बताते हुए नेताओं पर कार्रवाई करने की मांग की थी. हालांकि सुप्रीम कोर्ट की ओर से सख्ती बरतने के बाद पांच पूर्व मुख्यमंत्रियों ने इस साल बंगले खाली कर दिए.इन्होंने खाली किए बंगले
अखिलेश यादव : समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव साल 2012 से लेकर 2017 तक UP के मुख्यमंत्री रहे. पूर्व मुख्यमंत्री के हैसियत से मिले सरकारी बंगले को उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के ऑर्डर के बाद छोड़ दिया. बंगले में कथित तोड़फोड़ को लेकर अखिलेश विवादों में भी घिरे रहे.
मुलायम सिंह यादव : पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के पिता 5 दिसम्बर, 1989 से 24 जनवरी, 1991 तक, 5 दिसम्बर, 1993 से 3 जून, 1996 तक और 29 अगस्त, 2003 से 11 मई, 2007 तक उत्तर प्रदेश के मुख्यमन्त्री रहे. उन्होंने भी बंगला छोड़ दिया है.
राजनाथ सिंह : गृहमंत्री राजनाथ सिंह 28 अक्टूबर, 2000 से 8 मार्च, 2002 तक वह यूपी के मुख्यमंत्री रहे. उन्हें भी बंगला आवंटित हुआ था, अन्य मुख्यमंत्रियों की तरह राजनाथ ने भी बंगला छोड़ा.
कल्याण सिंह : वर्तमान में कल्याण सिंह राजस्थान के गवर्नर हैं. कल्याण सिंह दो बार यूपी के मुख्यमंत्री रहे हैं. एक बार वह 24 जून, 1991 से 6 दिसम्बर, 1992 तक मुख्यमंत्री रहे और दूसरी बार वह 21 सितम्बर, 1997 से 12 नवम्बर, 1999 तक UP के CM रहे. सुप्रीम कोर्ट के ऑर्डर के बाद कल्याण भी बंगला छोड़ चुके हैं.मायावती : बहुजन समाजवादी पार्टी की मुखिया मायावती चार बार यूपी की सीएम रह चुकी हैं. उनका आखिरी कार्यकाल 13 मई, 2007 से 15 मार्च, 2012 रहा है. उन्होंने भी पूर्व मुख्यमंत्री की हैसियत से मिला बंगला न केवल छोड़ा बल्कि मीडियाकर्मियों को भी बुलाकर दिखाया था.
नारायणदत्त तिवारी : नारायणदत्त तिवारी उत्तर प्रदेश के साथ-साथ उत्तराखंड के भी मुख्यमंत्री रह चुके हैं. ये तीन बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सबसे देरी से एनडी तिवारी ने बंगला खाली किया. परिवार ने बीमारी के कारण मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर बंगला खाली करने में अधिक समय मांगा था.

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