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Thursday, October 25, 2018

सुप्रीम कोर्ट: ग्रीन पटाखे ही बेचे और जलाए जाने चाहिए,क्या है ग्रीन पटाखे

सुप्रीम कोर्ट ने फैसले के दौरान 'ग्रीन पटाखों' का ज़िक्र किया था. कोर्ट ने कहा था कि त्योहारों पर काम प्रदूषण करने वाले ग्रीन पटाखे ही बेचे और जलाए जाने चाहिए.


ग्रीन पटाखों की खोज भारतीय संस्था राष्ट्रीय पर्यावरण अभियांत्रिकी अनुसंधान संस्थान (नीरी) ने की है और दुनिया भर में इन्हें प्रदूषण से निपटने के एक बेहतर तरीके की तरह देखा जा रहा है.
क्या हैं ग्रीन पटाखे

औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) की संस्था नीरी ने ऐसी पटाखों की खोज की है जो पारंपरिक पटाखों जैसे ही होते हैं जिनको जलने पर कम प्रदूषण होता है. इससे आपकी दीवाली का मज़ा भी कम नहीं होता क्योंकि ग्रीन पटाखे दिखने, जलाने और आवाज़ में सामान्य पटाखों की तरह ही होते हैं. हालांकि ये जलने पर 50 फीसदी तक कम प्रदूषण करते हैं. क्या हैं ग्रीन पटाखे: औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) की संस्था नीरी ने ऐसी पटाखों की खोज की है जो पारंपरिक पटाखों जैसे ही होते हैं पर इनके जलने से कम प्रदूषण होता है. इससे आपकी दीवाली का मज़ा भी कम नहीं होता क्योंकि ग्रीन पटाखे दिखने, जलाने और आवाज़ में सामान्य पटाखों की तरह ही होते हैं.
इनमें एल्युमिनियम का इस्तेमाल कम से कम किया जाता है. तीसरी तरह के 'अरोमा क्रैकर्स' हैं जो कम प्रदूषण के साथ-साथ खुशबू भी पैदा करते हैं. कितने तरह के होते हैं: क्या कहते हैं जानकार: नीरी के मुताबिक फिलहाल प्रमुख रूप से तीन तरह के ग्रीन पटाखे बनाए जा रहे हैं. इनमें से पहले वाले जलने के साथ पानी पैदा करते हैं जिससे सल्फ़र और नाइट्रोजन जैसी हानिकारक गैसें इन्हीं में घुल जाती हैं. इन्हें सेफ़ वाटर रिलीज़र भी कहा जाता है. दूसरी तरह के स्टार क्रैकर के नाम से जाने जाते हैं और ये सामान्य से काम सल्फ़र और नाइट्रोजन पैदा करते हैं. इनमें एल्युमिनियम का इस्तेमाल कम से कम किया जाता है.कहां मिलेंगे ग्रीन पटाखे


सुप्रीम कोर्ट और केंद्रीय मंत्री हर्षवर्धन ने भले ही ग्रीन पटाखों के इस्तेमाल की सलाह दी हो लेकिन सच यही है कि भारतीय बाज़ार में ऐसे पटाखें फिलहाल कहीं भी उपलब्ध नहीं हैं. नीरी की चीफ़ साइंटिस्ट डॉक्टर साधना रायलू का कहना है कि भले ही इन पटाखों की खोज की जा चुकी हो लेकिन ये कब बाजार में आ जाएंगे इसके बारे में अभी कुछ नहीं कहा जा सकता. ये पटाखे अभी भी टेस्टिंग पीरियड में ही हैं और सरकार जब तक इन्हें सर्टिफाइड नहीं करेगी तब तक ये उपलब्ध नहीं हो पाएंगे. कहां मिलेंगे ग्रीन पटाखे: 
पटाखा बनाने वाले भी अनजान


पटाखा मैन्यूफैक्चरर्स एसोसिएशन के सचिव कालीराजन मरियप्पन का कहना है कि ग्रीन पटाखों की बात करना फिलहाल जल्दबाजी नज़र आता है. ऐसे पटाखे बनाए जाना जो कि इकोफ्रेंडली हो अभी पूरी तरह से काल्पनिक विचार ही है. रिसर्च के अलावा पारंपरिक कच्चे माल की जगह नए कच्चे माल का इस्तेमाल भी करना होगा, इसकी सप्लाई कहां से होगी सबसे बड़ा सवाल है. हम ऐसी पहल का स्वागत करते हैं लेकिन जब तक ये तैयार नहीं हो जाते कोई और रास्ता निकाला जाना ज़रूरी है.

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