रुपया पर डॉलर के बढ़ते दबाव के कम करने के लिए भारत ने रूस, ऑस्ट्रेलिया, जापान, ईरान और इराक समेत 21 देशों के साथ करेंसी स्वैप अरेंजमेंट यानी CSA कर रखा है। ये खास समझौता आज भारत और जापान के बीच हुआ है।
भारत ने जापान के साथ 75 अरब डॉलर का द्विपक्षीय स्वैप समझौता किया है। प्रधानमंत्री मोदी और शिंजो आबे की बीच 75 अरब डॉलर का यह समझौता दुनिया का सबसे बड़ा स्वैप समझौता है। लंबे अरसे से चीन भी भारत के साथ ऐसा ही समझौता करना चाहत है, लेकिन हिंदुस्तान इस चीन को इस समझौते के लिए लगातार मना करता आ रहा है।
चीन लंबे अरसे से करेंसी स्वैप अरेंजमेंट यानी CSA के तहत भारत के युआन और रुपये में व्यापार करना चाहता है। चीन भारत के साथ CSA समझौता करना चाहता है। लेकिन भारत फिलहाल इसके लिए तैयार नहीं है। चीन की दलील है कि युआन और रुपये में कारोबार होने से भारत में चीनी पर्यटकों की संख्या बढ़ेगी जो फिलहाल काफी कम है।
चीन लंबे अरसे से करेंसी स्वैप अरेंजमेंट यानी CSA के तहत भारत के युआन और रुपये में व्यापार करना चाहता है। चीन भारत के साथ CSA समझौता करना चाहता है। लेकिन भारत फिलहाल इसके लिए तैयार नहीं है। चीन की दलील है कि युआन और रुपये में कारोबार होने से भारत में चीनी पर्यटकों की संख्या बढ़ेगी जो फिलहाल काफी कम है।
भारत चीन की विदेशी मुद्रा भी अपने यहां बढ़ा सकता है और उसे सर्विस सेक्टर में भी रोजगार का फायदा होगा लेकिन भारत सुरक्षा और व्यापार घाटे को देखते हुए इस समझौते पर आगे नहीं बढ़ने के लिए तैयार नहीं है।
जापान के अलावा भारत का इस वक्त 20 देशों के साथ करेंसी स्वैप अरेंजमेंट यानी CSA है। ये समझौता दो मित्र देशों के बीच होता है । इसके तहत दोनों देश अपने स्थानीय करेंसी में कारोबार करते हैं। गौरतलब है सामान्यतया अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कारोबार डॉलर या फिर यूरो में होता है। इन दोनों करेंसी की मजबूती और गिरावट का असर अन्य देशों के कारोबार पर पड़ता है। इससे बचने के लिए दो देश आपस में CSA जैसे समझौता करते हैं।
जापान के अलावा भारत का इस वक्त 20 देशों के साथ करेंसी स्वैप अरेंजमेंट यानी CSA है। ये समझौता दो मित्र देशों के बीच होता है । इसके तहत दोनों देश अपने स्थानीय करेंसी में कारोबार करते हैं। गौरतलब है सामान्यतया अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कारोबार डॉलर या फिर यूरो में होता है। इन दोनों करेंसी की मजबूती और गिरावट का असर अन्य देशों के कारोबार पर पड़ता है। इससे बचने के लिए दो देश आपस में CSA जैसे समझौता करते हैं।
देश पहले से तय करेंसी की दर पर ही आयात या निर्यात की रकम चुकाते हैं। इसके लिए किसी तीसरे देश के करेंसी, मसलन डॉलर या यूरो की मदद नहीं लेनी पड़ती है। इसके तहत विदेश मुद्रा के विनिमय के झंझट से भी छुटकारा मिल जाता है।
रुपये के मुकाबले डॉलर की बढ़ती कीमत का काट निकालने के लिए भारत ने जापान समेत 21 देशों के साथ करेंसी स्वैप अरेंजमेंट समझौता किया हुआ है। भारत का तेल निर्यातक देशों में अंगोला, अल्जीरिया, नाइजीरिया, ईरान, इराक, ओमान, कतर, वेनेजुएला, सऊदी अरब और यमन जैसे देशों के साथ सीएसए है। वहीं जापान, रूस, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण कोरिया, सिंगापुर. इंडोनेशिया, मलेशिया, मैक्सिको, दक्षिण अफ्रीका और थाइलैंड जैसे गैर तेल उत्पादक देशों के साथ भी भारत का ये समझौता है।
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