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Saturday, October 06, 2018

कांग्रेस सत्ता में वापसी करती है तो लोकसभा चुनाव में यह जीत प्रेरणा के रूप में करेगी काम

चुनावी बिसात पर किसकी चाल किस पर भारी पड़ेगी, यह तो भविष्य के गर्भ में छिपा है लेकिन अभी तक आ रहे चुनावी सर्वे की मानें तो मध्य प्रदेश में कड़ी टक्कर, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस भारी है. यानी कांग्रेस के लिए सुखद खबर है.
                                                       
आज चुनाव आयोग ने मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, मिजोरम और तेलंगाना के चुनाव की तारीख मुकर्रर कर दी. चुनाव आय़ोग ने आज पांच राज्यों मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, तेलंगाना और मिजोरम के विधानसभा चुनावों की तारीखों का एलान कर दिया है. मध्य प्रदेश और मिजोरम में एक साथ 28 नवंबर को वोट डाले जाएंगे. वहीं छत्तीसगढ़ में दो चरणों में 12 और 20 नवंबर को वोट डाले जाएंगे. राजस्थान और तेलंगाना में 7 दिसंबर को वोट डाले जाएंगे. इन सभी पांच राज्यों के नतीजे 11 दिसंबर को घोषित किए जाएंगे. वैसे तो पहले से ही इन राज्यों की सियासत सरगर्म है लेकिन अब सियासी गहमागहमी, दांव-पेंच, आरोप-प्रत्यारोप का पारा तेजी से चढ़ेगा. मतदाता इन राज्यों में किसे ताज पहनाएंगे यह दिल्ली के राजनीतिक गलियारे में भी चर्चा का विषय बना हुआ है.
राफेल, पेट्रोल-डीजल की कीमत, राज्य सरकारों पर कड़ा प्रहार... राहुल गांधी हर प्लेटफॉर्म का उपयोग मोदी सरकार के साथ राज्य सरकारों पर हमले के लिए कर रहे हैं. खासकर सोशल मीडिया पर कांग्रेस तेजी से सक्रिय हुई है. राहुल गांधी लगातार जनता से जुड़े मुद्दे उठा रहे हैं. राहुल लगातार किसानों का और बेरोजगारी का मुद्दा उठाते रहे हैं. लेकिन किसान और युवा दोनों समाधान चाहते हैं. चुनावी बिसात पर किसकी चाल किस पर भारी पड़ेगी, यह तो भविष्य के गर्भ में छिपा है लेकिन अभी तक आ रहे चुनावी सर्वे की मानें तो मध्य प्रदेश में कड़ी टक्कर, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस भारी है. यानी कांग्रेस के लिए सुखद खबर है.
रोज रंग बदलती इन राज्यों की राजनीति में पूरा देश दिलचस्पी ले रहा है. यह चुनाव देश के दो बड़े सियासी दलों की साख का ही सवाल नहीं है, बल्कि इसके नतीजे 2019 लोकसभा चुनाव की पटकथा भी लिखेंगे. इसीलिए इस चुनाव को सियासी गलियारे में 2019 का सेमीफाइनल कहा जा रहा है. अब यह चुनाव 2019 के लिए कैसा रास्ता दिखाएगा. राहुल गांधी के लिए कितना मायने रखता है, यह समझना बहुत जरूरी है. इन राज्यों में अभी तक राहुल गांधी का रूख बेहद आक्रामक दिख रहा है.
अगर सर्वे सच साबित होते हैं तो कांग्रेस के भविष्य पर उठ रहे सवालों पर विराम लगेगा और राहुल गांधी के नेतृत्व पर भी मंडरा रहे संकट के बादल छंटने लगेंगे. राफेल के सहारे राहुल गांधी जिस तेवर और आत्मविश्वास के साथ चुनाव में उतरे हैं यदि परिणाम सुखद नहीं रहा तो बीजेपी उसी को मुद्दा बनाकर उन पर पटलवार भी करेगी. यदि तीनों राज्य एक बार फिर बीजेपी के पाले में चले गये तो कांग्रेस पार्टी में एक बार फिर राहुल गांधी के नेतृत्व पर सवाल उठ सकते हैं.
2019 में कांग्रेस मजबूती से सामने आएगी
इन राज्यों में कांग्रेस सत्ता में वापसी करती है तो लोकसभा चुनाव में यह जीत प्रेरणा के रूप में काम करेगी. सहयोगी दलों के बीच राहुल गांधी का कद बढेगा, पीएम पद पर उम्मीदवारी की दावेदारी मजबूत होगी. यूपीए के सहयोगी दलों में राहुल के नेतृत्व की स्वीकार्यता बढ़ेगी. यदि कांग्रेस असफल होती है तो नेतृत्व पर सहयोगी दल सवाल उठाएंगे जिसका इशारा अक्सर अखिलेश यादव और शरद पवार करते रहते हैं. इन राज्यों कांग्रेस की स्थिति करो या मरो की है. यदि वह असफल होती है तो 2014 के लोकसभा चुनावों के बाद बीजेपी जिस प्रकार से लगभग हर चुनाव में पीएम मोदी को चुनावी चेहरा बनाती रही है ऐसे में एक बार फिर से मोदी लहर को नकार पाना विपक्ष के लिए मुश्किल होगा. राहुल गांधी के लिए उम्मीद का फूल मुरझा जाएगा.

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