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Monday, October 08, 2018

इनेलो ने बजाया लोकसभा चुनाव 2019 का बिगुल हुड्डा के गढ़ में पहली रैली बसपा भी आई साथ

इनेलो ने बसपा के साथ मिलकर मिशन 2019 के लिए हुड्डा के गढ़ से चुनावी हुंकार भर दी है। इसके लिए जाट लैंड कहे जाने गोहाना में पूर्व उपप्रधानमंत्री स्व. देवीलाल की जयंती पर रैली रखी गई थी। क्योंकि सोनीपत, रोहतक व झज्जर हुड्डा का गढ़ है

लेकिन इनेलो ने इस रैली के सहारे हुड्डा के गढ़ में सेंधमारी के लिए व्यूह रचना कर डाली। जहां इनेलो व बसपा नेताओं ने अपने सभी कार्यकर्ताओं को संगठित होकर चुनावी रण में उतरने के लिए साफ कह दिया है
वहीं नेताओं ने विपक्षी पार्टियों पर ज्यादा बोलने की जगह इनेलो-बसपा की सरकार किस तरह से बनाई जा सकती है, उसके लिए मूलमंत्र दिया। जिसके लिए संगठन को ओर ज्यादा मजबूत करने की बात कही गई
और इनेलो सुप्रीमो ओमप्रकाश चौटाला ने खुद भी साफ कर दिया कि अगर सत्ता में आना है तो अभी संगठन को ओर ज्यादा मजबूत बनाना होगा
प्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले स्व. देवीलाल की जयंती की यह आखिरी रैली मानी जा रही है तो बसपा के साथ गठबंधन होने के बाद भी इनेलो की यह बड़ी रैली है। इसलिए ही इस रैली को सबसे ज्यादा अहम माना गया है
और इस रैली में इनेलो ने पूरा जोर लगा दिया था तो बसपा नेता भी लगातार इनेलो का साथ देने में लगे हुए हैं
पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा के गढ़ में इनेलो की यह पहली रैली नहीं है, बल्कि 2015 में स्व. चौ. देवीलाल की जयंती पर रैली हुड्डा के घर रोहतक में की गई थी। जिस तरह से 2015 व 2018 में दोनों रैलियां हुड्डा के गढ़ में की गई है
इनेलो ने साफ कर दिया है कि वह हुड्डा के गढ़ में सेंधमारी के लिए पूरा जोर लगा रही है
क्योंकि इन तीनों जिलों में जहां चार सीटें भाजपा के पास है, वहीं अन्य सभी सीटें कांग्रेस के पास है और वह भी हुड्डा गुट के विधायक है। जिनमें सोनीपत में सबसे ज्यादा पांच सीटें तो रोहतक में तीन सीटें शामिल है
सोनीपत, रोहतक व झज्जर की बात करें तो केवल इनेलो ही ऐसी पार्टी है कि इन जिलों में उसका एक भी विधायक नहीं है

वहीं अब इनेलो के पास बसपा का गठबंधन भी है और इस कारण ही इनेलो को हुड्डा के गढ़ में सीट झटकने का मौका दिख रहा है। यही कारण है कि बसपा को इनेलो की रैली में बड़ा सम्मान भी दिया गया
अब यह देखना होगा कि इनेलो की यह रणनीति कितनी कामयाब होती है और वह हुड्डा के गढ़ में सेंध लगा पाते है या नहीं। ये तो चुनावों होने के बाद ही पता चलेगा

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