आज देशभर में करवा चौथ की धूम है. कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाने वाला करवा चौथ (Karwa Chauth 2018) व्रत सुहागिन महिलाओं के लिए खास होता है. पति और पत्नी का रिश्ता सबसे बड़ा और पवित्र रिश्ता माना जाता है और इसी रिश्ते को मजबूत करने के लिए ही करवा चौथ का त्यौहार मनाया जाता है. करवा चौथ में महिलाएं पति की लंबी आयु और उनकी मंगलकामना के लिए इस व्रत को रखती हैं.
मिट्टी के टोटीनुमा पात्र जिससे जल अर्पित करते हैं, उसको करवा कहा जाता है. करवा चौथ पर महिलाएं मिट्टी के करवे से पानी पीकर ही अपना व्रत तोड़ती हैं. इसलिए करवा चौथ पर जितना महत्व छलनी का होता है, उतना ही करवे का भी होता है. लेकिन क्या आपने सोचा है कि आखिर सुहागिन महिलाएं करवा चौथ के दिन करवे से ही पानी पीकर अपना व्रत क्यों तोड़ती हैं, आइए जानें...
मिट्टी के करवे का महत्व
दरअसल, करवे को बनाने के लिए सबसे पहले मिट्टी के साथ पानी मिलाया जाता है, जो जल और भूमि तत्व के प्रतीक हैं. करवे को बनाने के बाद इसे धूप और हवा में रखकर सुखाया जाता है, जो आकाश और वायु तत्व के प्रतीक हैं. इसके बाद करवे को आग में तपाया जाता है, इस तरह करवा पांच तत्वों से मिलकर बनता है. इसलिए करवे को पांच तत्व का प्रतीक माना जाता है. इन पांच तत्वों की मदद से बने होने के कारण मिट्टी के करवे का महत्व स्टेनलेस स्टील से बने करवे के मुकाबले अधिक होता है.
यही कारण है कि करवा चौथ के व्रत का समापन पति अपनी पत्नी को मिट्टी के करवे से पानी पीलाकर करते हैं, ताकि अपने वैवाहिक जीवन में पांच तत्वों को साक्षी बनाकर खुशहाल जीवन की कामना कर सकें.
इसके अलावा आयुर्वेद में भी मिट्टी के बर्तन से पानी पीने को सेहत के लिए अच्छा बताया गया है, लेकिन आधुनिक जीवन में आजकल कुछ लोग मिट्टी के करवे की जगह स्टेनलेस स्टील के करवे का भी इस्तेमाल करने लगे हैं |
मिट्टी के टोटीनुमा पात्र जिससे जल अर्पित करते हैं, उसको करवा कहा जाता है. करवा चौथ पर महिलाएं मिट्टी के करवे से पानी पीकर ही अपना व्रत तोड़ती हैं. इसलिए करवा चौथ पर जितना महत्व छलनी का होता है, उतना ही करवे का भी होता है. लेकिन क्या आपने सोचा है कि आखिर सुहागिन महिलाएं करवा चौथ के दिन करवे से ही पानी पीकर अपना व्रत क्यों तोड़ती हैं, आइए जानें...
मिट्टी के करवे का महत्व
दरअसल, करवे को बनाने के लिए सबसे पहले मिट्टी के साथ पानी मिलाया जाता है, जो जल और भूमि तत्व के प्रतीक हैं. करवे को बनाने के बाद इसे धूप और हवा में रखकर सुखाया जाता है, जो आकाश और वायु तत्व के प्रतीक हैं. इसके बाद करवे को आग में तपाया जाता है, इस तरह करवा पांच तत्वों से मिलकर बनता है. इसलिए करवे को पांच तत्व का प्रतीक माना जाता है. इन पांच तत्वों की मदद से बने होने के कारण मिट्टी के करवे का महत्व स्टेनलेस स्टील से बने करवे के मुकाबले अधिक होता है.
यही कारण है कि करवा चौथ के व्रत का समापन पति अपनी पत्नी को मिट्टी के करवे से पानी पीलाकर करते हैं, ताकि अपने वैवाहिक जीवन में पांच तत्वों को साक्षी बनाकर खुशहाल जीवन की कामना कर सकें.
इसके अलावा आयुर्वेद में भी मिट्टी के बर्तन से पानी पीने को सेहत के लिए अच्छा बताया गया है, लेकिन आधुनिक जीवन में आजकल कुछ लोग मिट्टी के करवे की जगह स्टेनलेस स्टील के करवे का भी इस्तेमाल करने लगे हैं |
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