उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और उनके साथ बीजेपी के वरिष्ठ नेता राम माधव, कांग्रेस नेता सचिन पायलट और रालोद के जयंत चौधरी भी हिस्सा ले रहे थे.इस दौरान अपने कार्यकाल में विकास कार्यों को गिनाने के दौरान अखिलेश यादव ने बगल बैठे बीजेपी नेता राम माधव की तरफ मुस्कान फेरकर तंज कस दिया.
अखिलेश यादव ने 2012 से 2017 के बीच कराए गए कार्यों, मसलन गोमती नदी रिवर फ्रेंट से लेकर आगरा एक्सप्रेस-वे का जिक्र किया. उन्होंने कहा कि एक्सप्रेसवे पर सुखोई, मिराज और हर्क्यूलस विमानों को उतारा गया जो इस बात का सबूत है कि वहां अच्छे काम किए गए.उन्होंने भाजपा नेता राव माधव से कहा, ‘‘अब, आप अपना राफेल भी उतार सकते हैं.'' इस पर लोग हंसने लगे. दिल्ली में पत्रकार प्रिया सहगल की किताब के विमोचन के मौके पर यह समारोह आयोजित था.इस दौरान अखिलेश यादव ने कहा कि प्रधानमंत्री बनने की उनकी कोई महत्वाकांक्षा नहीं है और इसके बजाय वह अपने राज्य उत्तर प्रदेश को बेहतर बनाने के लिए काम करना चाहेंगे. इस समारोह में भाजपा नेता राम माधव, नेशनल कांफ्रेंस के उमर अब्दुल्ला, कांग्रेस के सचिन पायलट और रालोद के जयंत चौधरी शामिल हुए थे. परिचर्चा का रुख महागठबंधन की ओर मुड़ने पर संचालक पत्रकार वीर सांघवी ने पूछा कि जब सभी विपक्षी नेताओं की प्रधानमंत्री बनने की हसरत है, ऐसे में कोई गठबंधन कैसे काम करेगा. ? इस पर, यादव ने जवाब दिया कि उनकी ऐसी कोई महत्वाकांक्षा नहीं है.इसके बाद सांघवी ने पूछा 'नहीं है ? " यादव ने जवाब दिया, ‘‘नहीं है.'' जब संचालक ने पूछा, ‘‘कभी नहीं'', सपा नेता ने कहा, ‘‘कभी नहीं.''सपा प्रमुख ने कहा कि इसके बजाय वह अपने राज्य की स्थिति को बेहतर बनाने के लिए काम करना चाहेंगे.प्रधानमंत्री बनने की महत्वाकांक्षा नहीं होने का यादव का बयान संभवत: बसपा प्रमुख मायावती की प्रधानमंत्री पद की महात्वाकांक्षा को शांत करने की कोशिश के तौर पर भी देखा जा रहा है. दरअसल, विपक्षी पार्टियां अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा का मुकाबला करने के लिए महागठबंधन बनाने की कोशिश कर रही हैं.कांग्रेस नेता सचिन पायलट ने कहा कि किसी को भी अपना जीवन प्रधानमंत्री बनने की महत्वाकांक्षा के साथ शुरू नहीं करना चाहिए क्योंकि राजनीतिक करियर को आकार देने में कई चीजें भूमिका निभाती हैं और राजनीति में कुछ भी कहीं से भी स्थायी नहीं है. गौरतलब है कि यादव ने पिछले साल फरवरी में भी यह कहा था कि प्रधानमंत्री बनने में उनकी कोई रूचि नहीं है. लेकिन उनका ताजा बयान अब भाजपा के खिलाफ विभिन्न विपक्षी पार्टियों का गठबंधन बनाने की कोशिश तेज होने के मद्देनजर काफी मायने रखता है. हालांकि, विपक्ष की एकजुटता में कुछ दरार भी नजर आ रही है. महागठबंधन होने से पहले बसपा और कुछ अन्य पार्टियां छत्तीसगढ़ एवं मध्य प्रदेश सहित कुछ अन्य राज्यों में अलग रास्ते पर जा रही है. मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस के साथ मतभेदों के चलते भी ऐसा हुआ है. इस बीच, गैर भाजपा दलों से संपर्क साधने की कोशिश के तहत आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एवं तेदेपा प्रमुख एन चंद्रबाबू नायडू ने गुरूवार को कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी सहित कई विपक्षी नेताओं से मुलाकात की.
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