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Sunday, November 11, 2018

रघुराम राजन ने बताया जीएसटी से गड़बड़ाई है देश की अर्थव्यवस्था

भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने नोटबंदी तथा वस्तु एवं सेवा कर की वजह से पिछले साल भारत की आर्थिक विकास दर में आई गिरावट की वजह बताया है।

सात फीसदी की विकास दर देश की जरूरतों के लिए पर्याप्त नहीं है। बर्कले में यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफॉर्निया में शुक्रवार को राजन ने कहा, नोटबंदी और जीएसटी इन दो मुद्दों से प्रभावित होने से पहले 2012 से 2016 के बीच चार साल के दौरान भारत की आर्थिक वृद्धि काफी तेज रही। भारत के भविष्य पर आयोजित द्वितीय भट्टाचार्य व्याख्यान में राजन ने कहा कि नोटबंदी और जीएसटी के दो लगातार झटकों ने देश की आर्थिक वृद्धि पर गंभीर असर डाला। देश की विकास दर ऐसे वक्त में गिर गई, जब वैश्विक अर्थव्यवस्था उछाल मार रही थी।'राजन ने कहा कि 25 वर्षों तक हर साल सात फीसदी की विकास दर बहुत-बहुत मजबूत वृद्धि है, लेकिन यह एक तरह से हिंदू रेट ऑफ ग्रोथ की तरह है, जिसे पहले 3.5 फीसदी के लिए इस्तेमाल किया जाता था। आजादी मिलने के बाद देश की अर्थव्यवस्था के लिए 'हिंदू रेट ऑफ ग्रोथ' का इस्तेमाल किया जाता था, जिसका मतलब बेहद कमजोर ग्रोथ रेट से था। उन्होंने कहा, 'सच तो यही है कि सात फीसदी की वृद्धि दर उन लोगों के लिए पर्याप्त नहीं है, जो श्रम बाजार में आ रहे हैं और हमें उन्हें रोजगार देने की जरूरत है। इसलिए हमें अधिक विकास दर की जरूरत है और इस स्तर से हम संतुष्ट नहीं हो सकते।' अपने ऊर्जा की जरूरतों के लिए तेल के आयात पर भारत की भारी निर्भरता का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि भारत की विकास दर एक बार फिर रफ्तार पकड़ रही है, ऐसे में तेल की कीमतें इसके लिए एक बाधा है। बढ़ती तेल की कीमतों पर राजन ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए चीजें थोड़ी मुश्किल होने जा रही हैं, भले ही देश नोटबंदी के प्रतिकूल प्रभावों और जीएसटी क्रियान्वयन के आरंभिक बाधाओं से उबर रहा है।गैर निष्पादित आस्तियों में बढ़ोतरी पर टिप्पणी करते हुए राजन ने कहा कि ऐसी हालत में सबसे बढ़िया चीज इसका 'सफाया करना' है। उन्होंने कहा, 'फंसे कर्ज से निपटना जरूरी है, ताकि बैलेंस शीट साफ हो और बैंक पटरी पर आ सकें।' राजन ने जोर देते हुए कहा कि बैंकों की फंसे कर्ज की समस्या दूर करने के लिए केवल बैंकरप्सी कोड से ही मदद नहीं मिलेगी। यह व्यापक क्लीन अप प्लान का एक औजार है और देश में एनपीए की समस्या को दूर करने के लिए बहुसूत्री दृष्टिकोण का आह्वान किया। आरबीआई के पूर्व गवर्नर ने कहा कि कि भारत में विकास की अपार क्षमता है। जैसा कि अभी सात फीसदी विकास दर देखी जा रही है। उन्होंने कहा कि अगर विकास दर सात फीसदी से नीचे जाती है, तो हमसे कुछ गलती हो रही होती है। उन्होंने कहा कि यह आधार है, जिसपर भारत को कम से कम अगले 10-15 साल तक विकास करना है।

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