एरिक्सन ने सुप्रीम कोर्ट से की अपील, आरकॉम 550 करोड़ का बकाया न चुकाने पर अनिल अंबानी को हो जेल.
Ericsson appeals to Supreme Court, Anil Ambani gets jail if he fails to pay Rs 550 crore to RCom)
स्वीडन की टेलिकॉम इक्विपमेंट कंपनी एरिक्सन ने सुप्रीम कोर्ट से अपील की है कि अगर आरकॉम उसका 550 करोड़ रुपये का बकाया नहीं चुकाती है, तो वह कंपनी के चेयरमैन अनिल अंबानी के देश छोड़ने पर पाबंदी लगाए और उन्हें सिविल जेल में डालने का आदेश जारी कर दे| और उसका बकाया ब्याज सहित अदा करने का आदेश जारी करे।
मामले में अवमानना याचिका स्वीकार करने के अलावा टेलिकॉम कंपनी के लेंडर्स को उसने सुप्रीम कोर्ट से कंपनी के एसेट्स की सेल पर रोक लगाने और पहले बिके एसेट्स के लिए उसे मिली पेमेंट को अपीलेट ट्राइब्यूनल के पुराने ऑर्डर के मुताबिक रिवर्स कराने की भी अपील की है। एरिक्सन ने कोर्ट से मामले में कंपनी के खिलाफ एनसीएलटी के ऑर्डर और कार्यवाही के मुताबिक इनसॉल्वेंसी रिजॉल्यूशन प्रोसेस शुरू कराने की इजाजत दिए जाने की भी अपील की। नेशनल कंपनी लॉ ट्राइब्यूनल ने तो पहले आरकॉम के खिलाफ इनसॉल्वेंसी पिटीशन मंजूर कर ली, लेकिन कंपनी 46,600 करोड़ रुपये के कर्ज के बोझ में 18,000 करोड़ रुपये की कमी लाने के लिए एसेट मॉनेटाइजेशन प्लान देकर इस प्रोसेस से बचने में कामयाब रही। आरकॉम ने डील को हरी झंडी मिलने में देरी को DoT की तरफ से जानबूझकर हो रही अवमानना करार दिया है। भारत सरकार और अवमानना करनेवाला DoT इस अदालत के आदेशों का तनिक भी सम्मान नहीं करते है|
Ericsson appeals to Supreme Court, Anil Ambani gets jail if he fails to pay Rs 550 crore to RCom)
स्वीडन की टेलिकॉम इक्विपमेंट कंपनी एरिक्सन ने सुप्रीम कोर्ट से अपील की है कि अगर आरकॉम उसका 550 करोड़ रुपये का बकाया नहीं चुकाती है, तो वह कंपनी के चेयरमैन अनिल अंबानी के देश छोड़ने पर पाबंदी लगाए और उन्हें सिविल जेल में डालने का आदेश जारी कर दे| और उसका बकाया ब्याज सहित अदा करने का आदेश जारी करे।
मामले में अवमानना याचिका स्वीकार करने के अलावा टेलिकॉम कंपनी के लेंडर्स को उसने सुप्रीम कोर्ट से कंपनी के एसेट्स की सेल पर रोक लगाने और पहले बिके एसेट्स के लिए उसे मिली पेमेंट को अपीलेट ट्राइब्यूनल के पुराने ऑर्डर के मुताबिक रिवर्स कराने की भी अपील की है। एरिक्सन ने कोर्ट से मामले में कंपनी के खिलाफ एनसीएलटी के ऑर्डर और कार्यवाही के मुताबिक इनसॉल्वेंसी रिजॉल्यूशन प्रोसेस शुरू कराने की इजाजत दिए जाने की भी अपील की। नेशनल कंपनी लॉ ट्राइब्यूनल ने तो पहले आरकॉम के खिलाफ इनसॉल्वेंसी पिटीशन मंजूर कर ली, लेकिन कंपनी 46,600 करोड़ रुपये के कर्ज के बोझ में 18,000 करोड़ रुपये की कमी लाने के लिए एसेट मॉनेटाइजेशन प्लान देकर इस प्रोसेस से बचने में कामयाब रही। आरकॉम ने डील को हरी झंडी मिलने में देरी को DoT की तरफ से जानबूझकर हो रही अवमानना करार दिया है। भारत सरकार और अवमानना करनेवाला DoT इस अदालत के आदेशों का तनिक भी सम्मान नहीं करते है|
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