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Thursday, January 31, 2019

क्या pm मोदी आम आदमी से लेकर छोटी-बड़ी इंडस्ट्री की उम्मीदों पर खरा उतर पाएंगे

क्या pm मोदी आम आदमी से लेकर छोटी-बड़ी इंडस्ट्री की उम्मीदों पर खरा उतर पाएंगे 

(Will Modi Modi be able to live up to the expectations of the common man from the small industry)
आखिरी पड़ाव पर खड़ी नरेंद्र मोदी सरकार से जहां आम आदमी से लेकर छोटी-बड़ी इंडस्ट्री आस लगाकर बैठी हैं वहीं चुनौतियों के दौर से गुजर रही भारतीय फिल्म इंडस्ट्री भी उम्मीदों का पुलिंदा बांध रखा है.  अब दखना है की क्या modi सरकार उम्मीदों पर खरा उतर पाएंगे. मोदी सरकार ने हाल ही में फिल्म उद्योग के लिए जीएसटी को लेकर बड़ी राहत दी. लेकिन इंडस्ट्री की उम्मीदों का टाइटल अभी भी "दिल मांगे मोर" है. जुलाई 2017 में देशभर में जीएसटी लागू होने के बाद फिल्म इंडस्ट्री के लिए 100 रुपये से ऊपर के सभी टिकट्स को सर्वाधिक 28 फीसदी के टैक्स प्रावधान से बड़ा धक्का लगा. डिजिटल दौर में इंडस्ट्री पहले से ही डिमांड से जूझ रही थी, और टैक्स में हुए इजाफे की वजह से दर्शकों को सिनेमा हाल तक खींचना बेहद मुश्किल हो गया. भारतीय मनोरंजन उद्योग के लिए बेहद महत्वपूर्ण राज्य तमिलनाडु में जीएसटी के अलाव सभी गैर-तमिल फिल्मों के टिकट पर 'लोकल बॉडी एंटरटेनमेंट टैक्स' के नाम पर 48 फीसदी ज्यादा टैक्स वसूलना शुरू कर दिया गया.इस सबके बावजूद फिल्म निर्माण में जीएसटी के बाद बढ़ी लागत एक अहम मुद्दा है. जीएसटी का प्रभाव फिल्म निर्माण के प्रत्येक पक्ष पर पड़ा है. होटल बुकिंग, यातायात, संसाधन, लोकेशन्स, शूटिंग राइट्स जैसी अधिकांश सेवाएं अब फिल्म मेकिंग को महंगा कर रहा है.  लिहाजा फिल्म निर्माताओं की मांग है कि सरकार फिल्म प्रोडक्शन के पक्ष को ध्यान में रखते हुए 2016 में निर्मित नेशनल आईपीआर पॉलिसी के प्रावधान को जल्द से जल्द लागू करे. इसके अलावा मौजूदा समय में जिस तरह से भारतीय फिल्म इंडस्ट्री को वैश्विक फिल्म इंडस्ट्री से चुनौती मिल रही है, कुछ फिल्म प्रोड्यूसर्स का मानना है कि सरकार भारत में ही फिल्म की शूटिंग को बढ़ावा देने के लिए कुछ छूट अथवा इंसेंटिव का प्रावधान कर सकती है. इससे विदेशी विदेशी प्रोडक्शन कंपनियों की तुलना में भारतीय कंपनियों का काम करने में सहूलियत मिलेगी.साथ ही डिमांड बढ़ाने की दिशा में एक बार फिर इंडस्ट्री मांग कर रही है कि साल 2000 की तर्ज केंद्र सरकार सिनेमाघरों को राहत दे. गौरतलब है कि 2000 में मल्टीप्लेक्स और सिनेमाहाल निर्माण में सरकार ने 5 साल के टैक्स हॉलिडे का प्रावधान किया था. 

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