फिल्म केसरी ने पहले ही दिन 21 करोड़ रुपये की कमाई के साथ खाता खोला है - Find Any Thing

RECENT

Sunday, March 24, 2019

फिल्म केसरी ने पहले ही दिन 21 करोड़ रुपये की कमाई के साथ खाता खोला है

फिल्म केसरी ने पहले ही दिन 21 करोड़ रुपये की कमाई के साथ खाता खोला है

Kesari has opened an account with earnings of Rs 21 crore on the same day
बॉलीवुड स्टार अक्षय कुमार की फिल्म केसरी बॉक्स ऑफिस पर शानदार प्रदर्शन कर रही है| फिल्म ने पहले ही दिन 21 करोड़ रुपये की कमाई के साथ खाता खोला है और अब भी यह बॉक्स ऑफिस पर सरपट दौड़ रही है|जहां तक फिल्म के सच्ची कहानी पर आधारित होने की बात है तो जानकारों का कहना है कि 21 सिख जवानों की 10 हजार हमलावरों से जंग की इस कहानी को बहुत हद तक फिल्मी या काल्पनिक बना दिया गया है| ब्रिटिश इंडियन आर्मी की 36 सिख रेजीमेंट के 10 जवानों की 6-7 घंटे चली इस लड़ाई की कहानी में कई लूपहोल्स हैं| अकेले नहीं गए थे इसहार सिंह सारागढ़ी पर बेहिसाब रिसर्च कर चुके कैप्टन जय सिंह सोहल का कहना है कि हवलदार इसहार सिंह को कभी भी उस जगह पर अकेले भेजा ही नहीं गया था जैसा कि फिल्म में दिखाया गया है| 
बता दें कि फिल्म केसरी में अक्षय कुमार ने हवरदार इसहार सिंह का किरदार निभाया है सोहल ने बताया पूरी की पूरी 36 सिख रेजीमेंट को 1895 में उत्तर पश्चिमी फ्रंट पर जाने का आदेश मिला था|
 उनसे कहा गया था कि वे दिसंबर 1896 तक वहीं पेशावर में रुकें इसहार सिंह अपनी पूरी टीम के साथ वहां गए थे न कि यूं ही घूमते हुए अकेले वहां पहुंच गए थे| हमले का वक़्त आ राहा है| जानकारों की मानें तो अक्षय कुमार ने जो केसरी रंग की पगड़ी फिल्म में पहनी हुई है उसका रंग दरअसल केसरी था ही नहीं सोहल ने बताया कि पगड़ी भी बाकी पोशाक की तरह खाकी रंग की हुआ करती थी| इतना ही नहीं उन्होंने बताया कि वहां केसरी पगड़ी पहनने की कोई गुंजाइश ही नहीं थी केसरी तो खालसा का रंग है| जानकारी के मुताबिक सारागढ़ी पोस्ट पर जंग से पहले इलाकाई लोगों के लिए मस्जिद बनाए जाने और जंग के बीच में हमलावरों के साथ हुई बातचीत भी कपोल कल्पना मात्र है| सोहल ने बताया कि जवानों के पास इतना वक्त ही नहीं था कि वे जाकर मस्जिदें बनाते उन्हें और कई बड़ी जिम्मेदारियां दी गई थीं जो उन्हें पूरी करनी थी|अक्षय कुमार और बाकी जवान अक्सर पठानों से बातचीत करते नजर आते हैं| विशेषज्ञों की मानें तो जवानों को पठानों से बातचीत की इजाजत करने की इजाजत नहीं थी|उन्हें जो निर्देश दिए जाते थे वे बहुत स्ट्रिक्ट हुआ करते थे और उन्हें उन निर्देशों का पालन करना होता था|

No comments:

Post a Comment

Pages