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Monday, April 08, 2019

क्यों नही चाहती मायावती की मुसलमानों का वोट कांग्रेस और गठबंधन में बंट जाए

क्यों नही चाहती मायावती की मुसलमानों का वोट कांग्रेस और गठबंधन में बंट जाए.

(why do not want mayawati's vote of muslims divided into congress and coalition)
यूपी में मायावती हर गुणा-भाग के साथ चल रही हैं. रविवार को हुई गठबंधन की संयुक्त रैली में मायावती ने मुस्लिमों से कहा कि उनका वोट कांग्रेस और गठबंधन के बीच न बंटने पाए. सवाल ये है कि क्या ऐसा कहना मायावती की मजबूरी है? दरअसल, समाजवादी पार्टी के साथ हाथ मिलाकर मायावती चाहती हैं कि अगर उन्हें अल्पसंख्यकों के वोट नहीं मिले तो उनकी राह मुश्किल हो सकती है. खासकर उन सीटों पर जहां मुस्लिम वोटर्स की संख्या ज्यादा है. कोई भी चुनाव जीतने के आमतौर पर दो सामान्य तरीके हैं. पहला किसी पार्टी या विशेष ग्रुप के आधार पर अपने वोटर्स को इकट्ठा रखा जाए और दूसरा सामने वाली पार्टी के वोटर्स को ज्यादा से ज्यादा विभाजित किया जाए. बीएसपी अध्यक्ष मायावती ने भी देबवंद की रैली में जिस तरह का भाषण दिया उसका उद्देश्य भी मुसलमानों को गठबंधन के साथ बनाए रखना था, ये बात और है की अल्पसंख्यक वोटों के ध्रुवीकरण की गुंजाइश हमेशा बनी रहती है. यूपी में पहले तीन चरणों की वोटिंग के दौरान कांग्रेस आधा दर्जन से भी कम सीटों पर ऐसी स्थिति में है, जहां उसके प्रत्याशी अल्पसंख्यक वोटर्स को विभाजित करने की स्थिति में हैं. बीएसपी पूरी तरह अल्पसंख्यक वोटों पर फोकस करती है और इसका पूरा लेखा-जोखा पुराने चुनावों में देखने को मिलता है. खासकर इस पूरे गणित को DM फैक्टर के नाम से जाना जाता है, कुछ दिनों के लिए यूपी में बीजेपी से मायावती के हाथ मिलाने से भी काफी मुस्लिम वोटर्स मायावती से नाराज हुए. ऐसे में इस बार मायावती कोई रिस्क नहीं लेना चाहतीं. वो जानती हैं कि अगर मुस्लिम वोट कांग्रेस और गठबंधन के बीच बंट गया तो इससे किसी का भला नहीं होगा और निश्चित तौर वो ये बिल्कुल नहीं चाहेंगी.

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