चीन ने बनाया फाइटर प्लेन का नया इंजन - Find Any Thing

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Tuesday, November 13, 2018

चीन ने बनाया फाइटर प्लेन का नया इंजन

चीन ने एक नया जेट इंजन बनाया है, इसके साथ ही आसमान में चीन और बड़ी ताकत बन गया है. अब वो ऐसे फाइटर बना सकेगा, जिसे बनाने में अब तक केवल रूस और अमेरिका ही सक्षम रहे हैं. चीन ने नए इंजन के साथ जे-10 फाइटर जेट को आसमान में उड़ाया.

साउथ मार्निंग चाइना पोस्ट के अनुसार, इन दिनों चीन का सबसे बड़ा एयर शो चल रहा है, जहां इस नए फाइटर को प्रदर्शित किया गया. कहा जा रहा है कि जे-10 फाइटर का ये नया वेरिएंट अमेरिका और रूस के वर्चस्व को टक्कर देगा.
बदल जाएगी अब चीन के फाइटर जेट की दुनिया
अब इस इंजन के विकास के बाद चीन विश्व स्तरीय, भरोसेमंद और अाधुनिक फाइटर्स बना सकेगा. अखबार ने पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के एयरफोर्स लेफ्टिनेंट कर्नल के हवाले से कहा है कि इस तकनीक के विकास के बाद अब चीनी पायलट लड़ाकू विमानों को उड़ानों और ज्यादा जोखिम ले पाने में सक्षम हो सकेंगे.
चीन ने हाल के बरसों में अपनी नौसेना और वायु सेना को ताकतवर किया है लेकिन फाइटर जेट के लिए आधुनिक इंजन तकनीक का विकास उसके लिए चिंता का विषय रहा है. लंबे समय से उसे अपने फाइटर्स जेट के लिए इंजन इंपोर्ट करने पड़ रहे थे.
इस इंजन के विकास के बाद एशिया के आकाश में चीन के पांचवीं जेनरेशन के जे-20स्टेल्स फाइटर्स का सामना करना बहुत मुश्किल होगा. ये नई तकनीक चीन की वायुसेना को खासा ताकतवर बना देगी.
कई सालों से चीन लगा था इसके विकास परचीन बहुत दिनों से इसका परीक्षण कर रहा था. परिणाम अनुकूल नहीं आ रहे थे. अब ये प्रदर्शन में सफल रहा है. इस इंजन का नाम डब्ल्यूएस-10 ताइहैंग है, इसे जे-10बी फाइटर में इस्तेमाल किया जाएगा. इस इंजन से युक्त फाइटर जेट हवा में कई ऐसे असंभव काम कर सकते हैं, जिसके बारे में सोचा भी नहीं जा सकता.
चीन के सैन्य मामलों के जानकार सोंग झोंगपिंग कहते हैं, जे-10बी टीवीसी का प्रदर्शन जाहिर करता है कि फाइटर जेट पर चीन का नियंत्रण बेहतर हो रहा है.
ये सिस्टम कहीं ज्यादा जटिल है लेकिन एयर शो जितने आसानी से नए इंजन के साथ जे-10 फाइटर ने कलाबाजियां दिखाईं, उससे लगता है कि चीन ने सभी समस्याओं का समाधान कर लिया है.
अब तक इस सिस्टम का इस्तेमाल केवल अमेरिका और रूस के चुनिंदा फाइटर जेट में हो रहा था. रूस ने इसी तरह के इंजन के सुखोई-30 और उसके बाद सुखोई 35 में लगाने में सफलता हासिल की है. ये सुखोई-57 यानि पांचवें जेनरेशन के स्टेल्थ फाइटर में भी है. जहां अमेरिका ने इस तरह के टीवीसी इंजन को 1990 के दशक में विकसित करना शुरू किया, वहीं चीन इस खेल में सबसे बाद में आया. उसने 16 साल पहले इस दिशा में काम शुरू किया.
नवंबर 2015 में चीन ने 24 सुखोई एसयू-35 खरीदने का सौदा रूस से 2.5 बिलियन डॉलर में किया था. इन विमानों की पहली खेप की अदायगी 2016 में हो भी चुकी है. वो चीन की एयरफोर्स में जबरदस्त तरीके से काम कर रहे हैं.

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