साबरकांठा के दोदाद गांव की रहने वाली सविता तारल 2009 में अपने परिवार के साथ खेडब्रह्मा-तलोड ट्रेन से सफर कर रही थीं.
तभी ट्रेन में अचानक ब्रेक लगा और हिम्मतनगर रेलवे स्टेशन पर उनके ऊपर वाली बर्थ और सामान उन पर गिर गया. जिसके बाद उन्हें हॉस्पिटल ले जाया गया लेकिन उनकी मौत हो गई.
इसके बाद सविता के पति और उनके सात बच्चों ने रेलवे पर 6.5 लाख रुपये का मुकदमा दायर किया. फिर 2011 में 6% ब्याज के साथ 1.92 लाख का मुआवजा देने का फैसला भी सुनाया लेकिन परिवार तैयार नहीं हुआ
फिर मामला स्टेट कंज्यूमर कोर्ट में पहुंचा तो कोर्ट ने 3.84 लाख का मुआवजा और तय किया. अब रेलवे को महिला के परिवार को 4.44 लाख रुपये मुआवजा के रूप में देने होंगे |
तभी ट्रेन में अचानक ब्रेक लगा और हिम्मतनगर रेलवे स्टेशन पर उनके ऊपर वाली बर्थ और सामान उन पर गिर गया. जिसके बाद उन्हें हॉस्पिटल ले जाया गया लेकिन उनकी मौत हो गई.
इसके बाद सविता के पति और उनके सात बच्चों ने रेलवे पर 6.5 लाख रुपये का मुकदमा दायर किया. फिर 2011 में 6% ब्याज के साथ 1.92 लाख का मुआवजा देने का फैसला भी सुनाया लेकिन परिवार तैयार नहीं हुआ
फिर मामला स्टेट कंज्यूमर कोर्ट में पहुंचा तो कोर्ट ने 3.84 लाख का मुआवजा और तय किया. अब रेलवे को महिला के परिवार को 4.44 लाख रुपये मुआवजा के रूप में देने होंगे |

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