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Thursday, November 01, 2018

दिवाली न्यूज़ कोर्ट ने लगाया पटाखों पर प्रतिबन्ध करोड़ का होगा पटाखे कारोबारियों का नुकसान

सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के मुताबिक़, दिल्ली-एनसीआर में सिर्फ़ ग्रीन पटाखे ही बेचे जा सकेंगे. हालांकि देश के दूसरे हिस्सों में पहले से बने गैर-ग्रीन पटाखे इस साल बेचे जा सकेंगे.
मगर जिन ग्रीन पटाखों को बेचने या जलाने की इजाज़त दी गई है, वो बाज़ार में उपलब्ध ही नहीं हैं. बाज़ार की इस हक़ीक़त से पटाखा कारोबारी और आम लोग भी निराश हैं.
CAIT के प्रवीण खंडेलवाल ने एक बयान में कहा, ''दिल्ली-एनसीआर में 500 करोड़ रुपये के पटाखों का स्टॉक मौजूद है. कोर्ट के आदेश से ये पटाखे रद्दी की टोकरी में चले जाएंगे. कारोबारियों का काफ़ी नुकसान होगा.''
पटाखों को लेकर सुप्रीम कोर्ट का इस साल पहला फ़ैसला 23 अक्टूबर को आया था. ये फ़ैसला तीन बच्चों की तरफ़ से कोर्ट में दायर याचिका में सुनाया गया था. फ़ैसले को लेकर केस के दोनों तरफ के पक्ष दोबारा कोर्ट गए, लेकिन कोर्ट ने ग्रीन पटाखों के इस्तेमाल और वक़्त की सीमा को लेकर अपने फ़ैसले को और स्पष्टीकरण के साथ दोहराया.
दरअसल ग्रीन पटाखे सामान्य पटाखों की तरह ही दिखते, जलते और आवाज़ करते हैं. बस इनसे प्रदूषण कम होता है.
लेकिन इनके जलाने से प्रदूषण क़रीब 40 से 50 फ़ीसदी कम होता है. पूजा धर कोर्ट के फ़ैसले की ख़ास बातें बताती हैं,
अब किसी भी ऐसे पटाखे का निर्माण नहीं होगा, जो ग्रीन नहीं हैं
बेरियम युक्त पटाखे भी नहीं बेचे जा सकेंगे
दक्षिण भारत में सुबह 4 से 5 और रात को 8 से 9 का समय दिया गया है
दो घंटे से ज़्यादा कहीं भी नहीं जलाए पाएंगे पटाखे
राज्य इस बारे में जारी कर सकते हैं नोटिफ़िकेशन
गुरु परब के लिए भी सुबह चार से पांच का दिया गया वक़्त
पूजा धर कहती हैं, ''ये पटाखे सिर्फ़ वही बेच पाएंगे जिनके पास लाइसेंस है. अगर कोई नियमों का पालन नहीं कर रहा है तो पुलिस को एक्शन लेना होगा. इसकी ज़िम्मेदारी एसएचओ को दी गई है.''
लेकिन ऐसा नहीं है कि पटाखों के शौक के लिए ग्रीन पटाखों के भरोसे ही रहा जा सकता है. पंजाब के कुछ वैज्ञानिक सुपर ग्रीन पटाखे बनाने का दावा करते हैं.
पंजाब के मोहाली स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ़ साइंस एजुकेशन एंड रिसर्च के वैज्ञानिकों ने ग्रीन पटाखों को लेकर रिसर्च की है.
ग्रीन पटाखों के बारे में बीबीसी से डॉक्टर स्मार्ट घोष ने कहा, ''हमने कुछ पटाखे बनाए हैं जो सुपर ग्रीन पटाखे हैं. हमारे पटाखे इको फ्रेंडली है. इन पटाखों को बनाने की प्रक्रिया भी वातावरण को नुकसान नहीं पहुंचाती है. कई बार पटाखे ग्रीन तो बनाए जाते हैं, लेकिन उन्हें बनाने में भी एक तरह का प्रदूषण होता है.''

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