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Thursday, November 15, 2018

राफेल पर आर या पार का फैसला सुरक्षित रख लिया सुप्रीम कोर्ट में ऐसा क्या हुआ

सुप्रीम कोर्ट ने राफेल विमान सौदे की न्यायालय की निगरानी में जांच के लिए दायर याचिकाओं पर बुधवार को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया. 

साथ ही न्यायालय ने कहा कि राफेल विमानों के दाम पर चर्चा तभी हो सकती है जब वह फैसला कर लेगा कि कीमतों के तथ्यों को या नहीं.
इससे पहले सरकार ने राफेल लड़ाकू विमानों के दाम के संबंध में जानकारी सार्वजनिक करने से इनकार किया और कहा कि यह जानकारी सार्वजनिक होने का, हमारे विरोधी फायदा उठा सकते हैं.मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति के एम जोसफ की तीन सदस्यीय पीठ ने इन याचिकाओं पर विभिन्न पक्षों के वकीलों की दलीलें सुनी. पीठ ने कहा, 'हमें यह निर्णय लेना होगा कि क्या कीमतों के तथ्यों को सार्वजनिक किया जाना चाहिए या नहीं.' पीठ ने कहा कि तथ्यों को सार्वजनिक किये बगैर इसकी कीमतों पर किसी भी तरह की बहस का सवाल नहीं है.
विमानों की कीमत को सार्वजनिक नहीं किए जाने का बचाव करते हुए अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने कहा कि 2016 की विनिमय दर के अनुसार एक राफेल जेट की लागत 670 करोड़ रुपये थी और "पूरी तरह से सुसज्जित" विमान की कीमत का खुलासा होने से "विरोधियों को लाभ" हो सकता है.
याचिकाकर्ताओं की इस दलील पर कि संसद को दो बार मूल्य की जानकारी दी गई है, वेणुगोपाल ने कहा, "हम कहते रहे हैं कि संसद को भी जेट की पूरी लागत के बारे में नहीं बताया गया है."याचिकाकर्ता के वकील प्रशांत भूषण ने आरोप लगाया था कि इस सौदे के लिए फ्रांस ने कोई सरकारी गारंटी नहीं दी है.
इस आरोप पर अटार्नी जनरल ने स्वीकार किया कि कोई सरकारी गारंटी नहीं दी गई है, लेकिन कहा कि फ्रांस ने सहूलियत पत्र दिया है जो सरकारी गारंटी की तरह ही है. वेणुगोपाल ने कहा कि न्यायालय यह फैसला करने के लिए सक्षम नहीं है कि कौन सा विमान और कौन से हथियार खरीदे जाएं क्योंकि यह विशेषज्ञों का काम है.
चार घंटे लंबी सुनवाई के दौरान, पीठ ने वेणुगोपाल से कहा कि अदालत वायुसेना की आवश्यकताओं के बारे में जानने के लिए रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों के बदले वायु सेना के अधिकारियों के साथ बातचीत करना चाहेगी.
पीठ ने कहा, "हम वायुसेना की आवश्यकताओं से निपट रहे हैं और वायुसेना अधिकारी से उनकी आवश्यकताओं के बारे में पूछना चाहते हैं. हम वायुसेना अधिकारी से सुनना चाहते हैं, न कि इस मुद्दे पर रक्षा मंत्रालय के अधिकारी से."
बाद में वायुसेना के शीर्ष अधिकारी एयर वाइस मार्शल जे चेलापति, एयर मार्शल अनिल खोसला और एयर मार्शल वी आर चौधरी बहुत कम समय के बुलावे पर अदालत पहुंचे. मुख्य न्यायाधीश ने वायुसेना की जरूरतों के बारे में चेलापति से बातचीत की.
भूषण, स्वयं और पूर्व केंद्रीय मंत्रियों यशवंत सिन्हा और अरुण शौरी की ओर से न्यायालय में उपस्थित हुए. उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार गोपनीयता प्रावधान की आड़ में जानकारी छिपा रही है. 

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