तीन तलाक बिल पर ये हुए तीन बड़े बदलाव.
मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक से निजात दिलाने के लिए मोदी सरकार पूरी तरह प्रतिबद्ध है. एक बार फिर लोकसभा में 'मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक-2018' पर चर्चा हो सकती है. सरकार और विपक्ष के बीच इस विधेयक पर पिछले सप्ताह सदन में चर्चा के लिए सहमति बनी थी. बिल लोकसभा में चर्चा के बाद पास भी हो गया था. लेकिन कांग्रेस सहित कुछ विपक्षी दलों के विरोध के चलते वह बिल राज्यसभा में पास होने से रहे गया था.लकिन लोकसभा में पास हो गया था.विवाहित मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों और उनके पतियों द्वारा एक बार में 'तलाक, तलाक, तलाक' बोलकर तलाक देने पर रोक लगाने के लिए मोदी सरकार ने तीन महत्वपूर्ण संशोधन के साथ दूसरी बार 'मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक-2018' लाई है. सरकार इस विधेयक को पिछले हफ्ते पास कराना चाहती थी, लेकिन हंगामे के चलते बिल पर चर्चा नहीं हो सकी थी.
तीन बदलाव क्या हैं
पहला संशोधन:-
पहले का प्रावधान- इस मामले में पहले कोई भी केस दर्ज करा सकता था. इतना ही नहीं पुलिस संज्ञान लेकर मामला दर्ज कर सकती थी.
अब संशोधन के बाद- अब पीड़िता, सगे रिश्तेदार ही केस दर्ज करा सकेंगे.
दूसरा संशोधन:-
पहले का प्रावधान-पहले गैर जमानती अपराध और संज्ञेय अपराध था. पुलिस बिना वॉरंट के गिरफ्तार कर सकती थी.
अब संशोधन के बाद- मजिस्ट्रेट को जमानत देने का अधिकार होगा.
तीसरा संशोधन:-
पहले का प्रावधान- पहले समझौते का कोई प्रावधान नहीं था.
अब संशोधन के बाद-मजिस्ट्रेट के सामने पति-पत्नी में समझौते का विकल्प भी खुला रहेगा.पति-पत्नी समझौता करके भी तलाक टाल सकते है.
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