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Tuesday, December 25, 2018

असम में ब्रह्मपुत्र नदी पर बने बोगीबील ब्रिज से क्यों नाराज है कुछ लोग

असम में ब्रह्मपुत्र नदी पर बने बोगीबील ब्रिज से क्यों नाराज है कुछ लोग.
असम में ब्रह्मपुत्र नदी पर बने बोगीबील ब्रिज का पीएम मोदी उद्घाटन करेंगे. 4.9 किलोमीटर लंबे इस पुल की मदद से असम के तिनसुकिया से अरुणाचल प्रदेश के नाहरलगुन कस्बे तक की रेलयात्रा में लगने वाले समय में 10 घंटे से अधिक की कमी आने की उम्मीद लगाई जा रही है.
सरकार लगातार इस ब्रिज की तारीफ कर रही है. सरकार का कहना है कि इससे न सिर्फ इससे आर्थिक विकास होगा बल्कि सुरक्षा बढ़ेगी और कनेक्टिविटी भी बढ़ेगी. लेकिन असम के कुछ लोग इससे खुश नहीं है. ब्रह्मपुत्र नदी पर इस पुल के बनने के बाद मछुवारे इसे अपनी रोजी-रोटी के लिए खतरा मान रहे हैं. ब्रह्मपुत्र नदी के उत्तरी और दक्षिणी तट से करीब 40 नौकाएं चलती हैं. इन नौकाओं के जरिए लोगों के साथ ही दोपहिया वाहनों और कार आदि सामान को भी नदी के दूसरी ओर पहुंचाया जाता है. दो नौकाओं का संचालन राज्य सरकार करती है जबकि बाकी का संचालन निजी तौर पर होता है. हर नौका के संचालन में तीन लोग लगे हैं. इन मछुवारों का मानना है कि बोगीबील ब्रिज के कारण उनकी रोजी रोटी छिन सकती है.
ब्रिज के नाम को लेकर भी अलग अलग वर्गों में असंतोष है. असम के अलग- अलग वर्गों द्वारा करीब सात अलग अलग नाम सुझाए गए थे. जहां एक तरफ सुतिया समुदाय के लोग चाहते थे कि ब्रिज का नाम उनके राजवंश की रानी सती साधिनी के नाम पर रखा जाए वहीं ताई-अहोम समुदाय के लोग चाह रहे थे कि छह सौ साल पहले अहोम राजवंश की स्थापना करने वाले चाओलांग सिऊ-का-फा के नाम पर रखा जाए.इस पुल से असम में डिब्रूगढ़ और अरूणाचल प्रदेश में पासीघाट के बीच आवाजाही आसान होगी. दिल्ली से डिब्रूगढ जाने वाली ट्रेन का समय भी तीन घंटे बचेगा. फिलहाल 37 घंटे लगते हैं इस मार्ग से 34 घंटे ही लगेंगे.लकिन असम के लोग ना खुश नज़र आ रहे है. उन लोगो को अपनी रोज़ी रोटी छीनने का खतरा है.

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