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Tuesday, January 15, 2019

जानिए क्या है शीला दीक्षित को दिल्ली कांग्रेस कमिटी का अध्यक्ष बनाने की वजह

जानिए क्या है शीला दीक्षित को दिल्ली कांग्रेस कमिटी का अध्यक्ष बनाने की वजह.

(Know what is the reason for Sheila Dikshit to be the president of the Delhi Congress Committee)


शीला दीक्षित को दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमिटी का अध्यक्ष नियुक्त किया है. उन्हें दूसरी बार यह जिम्मेदारी दी गई है. 20 साल पहले 1998 में उन्होंने दिल्ली कांग्रेस की कमान संभाली थी.और एक बार फिर कमान संभली है.
पार्टी की स्थिति तब से बहुत अलग नहीं है. तब बहुसंख्यक वोटरों में बीजेपी का जादू चरम पर था, पूर्व प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव के दौर में बाबरी मस्जिद ढहाए जाने के बाद अल्पसंख्यकों का कांग्रेस से विश्वास उठने लगा था. इसी का नतीजा हुआ कि 1991, 1996 और 1998 के लोकसभा, 1993 के विधानसभा और 1997 के निकाय चुनाव में कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा.

शीला दीक्षित ने 20 साल पहले 1998 में उन्होंने दिल्ली कांग्रेस की कमान संभाली थी.
दिल्ली मुख्यमंत्री के तौर पर शीला दीक्षित ने 15 सालों में गुड गवर्नेंस का जो उदाहरण पेश किया वह उनकी सबसे बड़ी ताकत है. आज राजधानी सीएम आवास में वरिष्ठ आईएएस अधिकारी के साथ बदसलूकी की घटनाओं की साक्षी बन चुकी है, दीक्षित के कार्यकाल में सरकार और अधिकारियों के बीच के मतभेदों को बेहतर तरीके से मैनेज करने के लिए जाना जाता है. शीला दीक्षित का वापसी करने का मकसद अगले विधान sabha चुनाव में अरविंद केजरीवाल की सरकार को गिरना है.

उनकी वापसी के पीछे बड़ा मकसद 2020 में होने वाले विधानसभा चुनाव में अरविंद केजरीवाल की सरकार को गिराने के लिए जमीन तैयार करना है
क्या जैसी स्क्रिप्ट लिखी गई है उसी के मुताबिक दिल्ली में कांग्रेस की वापसी हो सकेगी? पहली बात तो यह कि आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन हो या न हो इसका पूरा बोझ शिला दीक्षित को ही उठाना पड़ेगा. अरविंद केजरीवाल न सिर्फ दिल्ली बल्कि पंजाब और हरियाणा में भी कांग्रेस से हाथ मिलाना चाह रहे हैं. वरिष्ठ अधिवक्ता और आप के संस्थापक सदस्यों में से एक एचएस फुल्का का पार्टी से इस्तीफा और राजीव गांधी के भारत रत्न को लेकर आप में आई दरार इस बात का साफ संकेत देते हैं कि आप किसी भी कीमत पर यूपीए से जुड़ने को तैयार हैं. दिल्ली के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अजय माकन इस गठबंधन के खिलाफ थे. ऐसा लग रहा है कि शीला दीक्षित भी आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन के मूड में नहीं है. वो उनसे दूरी बनाए रखने में ही ज़्यादा दिलचस्पी दिखा रही हैं. उन्होंने गेंद पार्टी हाई कमान के पाले में डाल दी है. इससे कई आप नेता अपना संयम खोने लगे हैं.
दीक्षित की वापसी आगामी लोकसभा चुनाव को देखते हुए कांग्रेस के लिए महत्वपूर्ण तो है ही. उनकी वापसी के पीछे बड़ा मकसद 2020 में होने वाले विधानसभा चुनाव में अरविंद केजरीवाल की सरकार को गिराने के लिए जमीन तैयार करना है. इसलिए शीला दीक्षित को दिल्ली की कमान देने के कांग्रेस के कदम को शॉर्ट टर्म नहीं माना जाना चाहिए. 

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