बिहार में 2019 का सियासी समर में चुनाव में मुद्दा, मोदी जिताओ या मोदी हराओ - Find Any Thing

RECENT

Monday, February 18, 2019

बिहार में 2019 का सियासी समर में चुनाव में मुद्दा, मोदी जिताओ या मोदी हराओ

बिहार में 2019 का सियासी समर में चुनाव में मुद्दा, मोदी जिताओ या मोदी हराओ.

(Bihar elections in 2019, Modi issue or Modi defeat)
बिहार में राजनीति का आलम यह है कि 2019 के लोकसभा का चुनाव की धमक होते ही दूसरे राज्यों में सुगबुगाहट भी नहीं हुई थी लेकिन बिहार में तो गठबंधन और महगठबंधन को लेकर कवायद, बहस और खींचतान शुरू हो गई. जैसे-जैसे लोकसभा चुनाव का समय नजदीक आ रहा है, वैसे-वैसे बहस और चर्चाएं होने लगी हैं कि बिहार में ऊंट किस करवट बैठेगा
अभी तीन दिन पहले ही जम्मू-कश्मीर के पुलवामा के आतंकी हमले ने पूरे देश को गुस्से और आक्रोश से भर दिया है. हर देशवासी के दिल में राष्ट्र प्रेम उमड़ रहा है. यह होना भी चाहिए. लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में यही देशप्रेम बड़ी भूमिका भी अदा करेगा. बीजेपी इस मुद्दे को और मोदी सरकार के एक्शन को चुनावी मुद्दा बनाकर भुनाने की कोशिश करेगी. वहीं कांग्रेस भी इस घटना को जनता के सामने कुछ यूं लेकर जाएगी कि हमने देश की खातिर सरकार के हर कदम पर उसका साथ दिया. अभी भले ही इस मुद्दे पर राजनीति न हो रही हो, लेकिन आने वाले दिनों में इस पर राजनीति नहीं होगी, कहना मुश्किल है. वैसे इस बार के चुनाव में मुद्दा तो एक ही रहेगा कि 'मोदी जिताओ या मोदी हराओ. क्योकि दोनों में से एक ही होना है. लेकिन अभी चुनाव दूर है दखते है क्या होता है.
बिहार में लोकसभा की कुल 40 सीटें हैं. कुल लोकसभा की सीटों का 13 प्रतिशत हिस्सा बिहार में ही है. बिहार में हर बार के चुनाव में तेवर अलग रहता है. जाहिर है कि इस बार भी मुद्दे अलग और नए होंगे. इस बार बिहार की सियासी समीकरण पिछले चुनाव से बिल्कुल अलग है. एनडीए और महागठबंधन दोनों खासकर एनडीए की तरफ से पार्टियां तय हो चुकी है.
महागठबंधन बिहार में 'मोदी हराओ' की मुहिम के साथ उतरेगी. लेकिन उसकी भी तस्वीर पिछले चुनाव से अलग है. इस समय महागठबंधन का नेतृत्व कर रहे तेजस्वी यादव के लिए इस कमजोरी को दूर करना सबसे बड़ी चुनौती होगी. एनडीए में तो सीट शेयरिंग का मसला सुलझ चुका है लेकिन महागठबंधन में अभी तक यह मामला सुलझा नहीं है. तीन राज्यों के चुनाव के परिणाम और राहुल गांधी की पटना में हुई रैली के बाद कांग्रेस के उत्साह ने महागठबंधन की मुश्किलें बढा दी है. तेजस्वी सहित महागठबंधन की कोशिश यही होगी कि विशेष राज्य के दर्जे और स्पेशल पैकेज के मुद्दे पर बिहार के वोटर को कुरेदा जाए. क्योंकि यह बीजेपी और एनडीए की कमजोर कड़ी है.

No comments:

Post a Comment

Pages