क्या प्रियंका गांधी कर पाएंगी बीजेपी और सपा-बसपा का खेल पलटने में कांग्रेस की मदद.
(Can Congress Priyanka Gandhi be able to turn the game of BJP and SP-BSP)लोकसभा चुनाव से ठीक पहले राहुल गांधी ने अपनी बहन प्रियंका गांधी वाड्रा को राजनीति में उतार बड़ा खेल खेला है. प्रियंका की एंट्री ने यूपी के सियासी समीकरण को एक बार फिर से उलझा दिया है. यूपी में अब तक बीजेपी और सपा-बसपा गठबंधन के बीच सीधी टक्कर मानी जा रही थी. लेकिन प्रियंका की एंट्री ने अब मुकाबला त्रिकोणीय बना दिया है. प्रियंका गांधी की राजनीतिक एंट्री के बाद से अब हर कोई यही सवाल कर रहा है कि क्या एक मजबूत दावेदारी पेश करने का दावा करने वाली कांग्रेस से बीजेपी को फायदा मिलेगा. क्या कांग्रेस के इस कदम से मायावती को नुकसान होगा.यूपी में कांग्रेस का फोकस दलित और ओबीसी वोट पर है, जो अब तक बसपा का वोट बैंक है और लगातार बिखर रहा है.
इस वोट बैंक को साधने के लिए देश की सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस ने यूपी में दलित और ओबीसी कम्युनिटी को संबोधित करने का प्लान बनाया है. अब देखना होगा की प्रियंका गांधी कांग्रेस को याद दिलाने में कितनी मददगार साबित होगी.कांग्रेस ने एक तरफ गुजरात में पाटीदार नेता हार्दिक पटेल को अपने पाले में ले लिया. अब यूपी में दलित युवा नेता चंद्रशेखर आज़ाद उर्फ रावण का खुला समर्थन कर राजनीतिक हलकों में खलबली भी मचा दी.
कांग्रेस महासचिव बनने के बाद प्रियंका गांधी 'सॉफ्ट हिंदुत्व' की राह पर भी चलने लगी हैं. गंगा से बड़ी आबादी की आस्था को ध्यान में रखते हुए उन्होंने चुनाव के मद्देनजर यूपी में नदी किनारे की जनता से रू-ब-रू होने का प्लान बनाया और गंगा यात्रा पर निकलने वाली हैं. 18 से 20 मार्च वह इलाहाबाद से वाराणसी तक गंगा में मोटर बोट से जल यात्रा के दौरान बीच-बीच में रुकेंगी. इस दौरान प्रयागराज और बनारस में लोगों से मुलाकात करेंगी. इसके लिए कांग्रेस ने चुनाव आयोग से अनुमति देने की मांग की है.
उधर, सपा-बसपा गठबंधन के सूत्रों ने जोर देकर कहा कि कांग्रेस मायावती के वोट बैंक में सेंधमारी करने में सक्षम नहीं होगी. वह मायावती के वोट बैंक को नहीं तोड़ पाएगी, जिसमें ज्यादातर दलित या फिर अन्य पिछड़ा वर्ग शामिल हैं. वहीं, इस गठबंधन में मुस्लिम वोट बैंक का संयोजन भी है जो अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी का समर्थन करते हैं. साल 2009 में कांग्रेस ने 21 सीटें जीतीं थीं. मगर 2014 के लोकसभा चुनाव में यह आंकडा दो पर पहुंच गया और कांग्रेस पार्टी सिर्फ सोनिया गांधी की रायबरेली और राहुल गांधी की अमेठी सीट ही बचा पाई. इतना ही नहीं, कांग्रेस का वोट शेयर भी अब तक के सबसे नीचले स्तर 7.5 फीसदी पर आ गया. 2017 के विधानसभा चुनाव में अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन में लड़ने वाली कांग्रेस ने अमेठी और रायबरेली लोकसभा क्षेत्रों में से 10 विधानसभा सीटों में से महज चार पर जीत हासिल की थी.
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