दिल्ली गेट के पास बने पारसी अग्नि मंदिर को लेकर हुए भेदभाव जानिए क्यों
find out the discrimination about the parsi fire temple near delhi gateदिल्ली गेट के पास बने पारसी अग्नि मंदिर में अन्य धर्मो के लोगों के साथ भेदभाव बरतने और उन्हें मंदिर के अंदर नहीं जाने देने के आरोप का फायर टेंपल ट्रस्ट दिल्ली पारसी अंजुमन ने खंडन किया है| ट्रस्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट में जवाब दाखिल कर कहा है| कि वो लोग किसी के साथ भेदभाव नहीं करतेसिर्फ घायल व्यक्ति जिसके शरीर से खून निकल रहा हो या फिर मासिक धर्म से गुजर रही महिलाओं को मंदिर में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी गई है| ट्रस्ट ने कोर्ट में दिए अपने जवाब में बचाव करते हुए कहा है कि मंदिर में प्रवेश को लेकर यह तमाम नियम और शर्त सभी के लिए है| चाहे वह पारसी ही क्यों नहीं हो यह उनकी आस्था से जुड़ा है उसपर मंदिर नहीं जाने देने का आरोप निराधार है|इस तरह की याचिका योग्य ही नहीं है और इसे निरस्त किया जाना चाहिए|
याचिकाकर्ता ने पारसी अग्नि मंदिर के प्रशासन पर आरोप लगाया है कि मंदिर में पारसी को छोड़कर अन्य धर्म के लोगों को प्रवेश नहीं करने दिया जाता है जबकि यह धार्मिक स्थल है|इस मामले में सुनवाई कर रहे मुख्य न्यायाधीश राजेन्द्र मेनन और न्यायमूर्ति अनूप जयराम भंभानी ने कहा है कि वह पहले याचिका सुनवाई योग्य है या नहीं इस पर विचार करेंगे कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई 26 अगस्त के लिये टाल दी है पारसी अग्नि मंदिर ने अपने जवाब में यह भी कहा है| कि उसे मंदिर की देखभाल के लिये किसी से अनुदान नहीं मिलता है| वे लोग खुद मंदिर का देखभाल करते हैं| ऐसे में कोई गैर पारसी मंदिर में नहीं जाने देने की बात करे तो यह गलत है| याचिकाकर्ता का यह भी दावा है कि कि मंदिर के बाहर ही नोटिस लगा है जिसमें कहा गया है कि अन्य धर्म के लोगों के अग्नि मंदिर में प्रवेश की इजाजत नहीं है| उसमें केवल पारसियों को ही जाने की अनुमति है| इससे पहले कोर्ट ने हजरत निजामुद्दीन औलिया दरगाह की मजार पर महिलाओं के प्रवेश की अनुमति देने वाली याचिका पर केंद्र व राज्य सरकार तथा पुलिस से जवाब मांगा था|
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