जानिए डॉ भीमराव आंबेडकर के जीवन से जुड़ी 5 रोचक बातें - Find Any Thing

RECENT

Sunday, April 14, 2019

जानिए डॉ भीमराव आंबेडकर के जीवन से जुड़ी 5 रोचक बातें

जानिए डॉ भीमराव आंबेडकर के जीवन से जुड़ी 5 रोचक बातें

know about 5 interesting things related to dr. bhimrao ambedkar's life
डॉ भीमराव अंबेडकर की आज जयंती है आज बाबा साहेब की जयंती के मौके पर पूरा देश उन्हें याद कर रहा है| भारतीय संविधान के रचय‍िता समाज सुधारक और महान नेता डॉक्‍टर भीमराव अंबेडकर की जयंती भारत ही नहीं बल्‍कि दुनिया भर में धूमधाम से मनाई जाती है|
1. डॉक्‍टर भीमराव अंबेडकर का जन्‍म 14 अप्रैल 1891 को मध्‍य प्रदेश के एक छोटे से गांव महू में हुआ था हालांकि उनका परिवार मराठी था और मूल रूप से महाराष्‍ट्र के रत्‍नागिरी जिले के आंबडवे गांव से था| उनके पिता का नाम रामजी मालोजी सकपाल और मां भीमाबाई थीं| अंबेडकर महार जाति के थे इस जाति के लोगों को समाज में अछूत माना जाता था और उनके साथ भेदभाव किया जाता था|
2. अंबेडकर बचपन से ही कुशाग्र बुद्धि थे लेकिन जातीय छुआछूत की वजह से उन्‍हें प्रारंभ‍िक श‍िक्षा लेने में भी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा स्‍कूल में उनका उपनाम उनके गांव के नाम के आधार पर आंबडवेकर ल‍िखवाया गया था| स्‍कूल के एक टीचर को भीमराव से बड़ा लगाव था और उन्‍होंने उनके उपनाम आंबडवेकर को सरल करते हुए उसे अंबेडकर कर दिया|
3. भीमराव अंबेडकर मुंबई की एल्‍फिंस्‍टन रोड पर स्थित गवर्नमेंट स्‍कूल के पहले अछूत छात्र बने 1913 में अमेरिका की कोलंबिया यूनिवर्सिटी में पढ़ने के लिए भीमराव का चयन किया गया जहां से उन्‍होंने राजनीति विज्ञान में ग्रेजुएशन किया. 1916 में उन्‍हें एक शोध के लिए पीएचडी से सम्‍मानित किया गया|
4. अंबेडकर लंदन से अर्थशास्‍त्र में डॉक्‍टरेट करना चाहते थे लेकिन स्‍कॉलरश‍िप खत्‍म हो जाने की वजह से उन्‍हें बीच में ही पढ़ाई छोड़कर वापस भारत आना पड़ा| इसके बाद वे कभी ट्यूटर बने तो कभी कंसल्‍टिंग का काम शुरू किया लेकिन सामाजिक भेदभाव की वजह से उन्‍हें सफलता नहीं मिली| फिर वे मुंबई के सिडनेम कॉलेज में प्रोफेसर नियुक्‍त हो गए 1927 में कोलंबंनिया यूनिवर्सिटी ने भी उन्‍हें पीएचडी दी|
5. डॉक्‍टर भीमराव अंबेडकर समाज में दलित वर्ग को समानता दिलाने के जीवन भर संघर्ष करते रहे उन्‍होंने दलित समुदाय के लिए एक ऐसी अलग राजनैतिक पहचान की वकालत की जिसमें कांग्रेस और ब्रिटिश दोनों का ही कोई दखल ना हो 1932 में ब्रिटिश सरकार ने अंबेडकर की पृथक निर्वाचिका के प्रस्‍ताव को मंजूरी दे दी लेकिन इसके विरोध में महात्‍मा गांधी ने आमरण अनशन शुरू कर दिया| इसके बाद अंबेडकर ने अपनी मांग वापस ले ली| बदले में दलित समुदाय को सीटों में आरक्षण और मंदिरों में प्रवेश करने का अध‍िकार देने के साथ ही छुआ-छूत खत्‍म करने की बात मान ली गई|

No comments:

Post a Comment

Pages