लोकसभा चुनाव वंशवादी राजनीति के खिलाफ हो सकते है मतभेद जानिए
lok sabha elections can be against dynastic politics know the differencesहिमाचल प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी अपने ही एक नेता को निशाना बना रही है जिन्होंने जयराम ठाकुर की अगुवाई वाली कैबिनेट से दो दिन पहले इस्तीफा दे दिया था| भाजपा अपने पूर्व ऊर्जा मंत्री अनिल शर्मा से अपने बेटे के प्रति प्रेम को लेकर पार्टी छोड़ने के लिए कह रही है| अपने पिता अनिल शर्मा और दादा पूर्व केंद्रीय दूरसंचार मंत्री सुखराम से वर्षों से राजनीति सीखने वाले कांग्रेस के आश्रय शर्मा मंडी लोकसभा सीट से मैदान में हैं| उन्हें भाजपा सांसद राम स्वरूप शर्मा के खिलाफ खड़ा किया गया है| पिता और पुत्र, पूर्व केंद्रीय दूरसंचार मंत्री सुखराम के राजनीतिक वंश के हैं ऐसे में भाजपा ने वंशवादी राजनीति के खिलाफ लड़ाई का बिगुल फूंक दिया है उन्होंने सार्वजनिक सभाओं के दौरान कहा अगर उन्हें पार्टी में बने रहना है| तो उन्हें पार्टी के लिए वहां से भी प्रचार करना होगा जहां से उनका बेटा चुनाव लड़ रहा है|
भाजपा महासचिव चंद्र मोहन ठाकुर ने बताया अनिल शर्मा को या तो 'पुत्र मोह' से ऊपर उठना चाहिए या उन्हें पार्टी से इस्तीफा दे देना चाहिए|मंडी के अपने गढ़ में 'पंडित जी' के नाम से लोकप्रिय छह बार के विधायक और तीन बार के सांसद सुखराम और उनके पोते आश्रय शर्मा ने भाजपा छोड़ने के बाद 25 मार्च को कांग्रेस का दामन थाम लिया अपने प्रतिद्वंद्वियों पर पलटवार करते हुए राज्य कांग्रेस इकाई के अध्यक्ष कुलदीप राठौड़ ने कहा कि अनिल शर्मा के बेटे को मंडी से मैदान में उतारकर पार्टी भाजपा को गुगली से आउट करने की कोशिश कर रही है राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि अनिल शर्मा के बेटे को मनोनीत करने का फैसला सत्तारूढ़ भाजपा को फिसलन भरी विकेट पर धकेलने के लिए कांग्रेस द्वारा किया गया एक चतुराई भरा कदम है| मंडी मुख्यमंत्री ठाकुर का गृह क्षेत्र है अनिल शर्मा के पिता सुखराम ने मंडी जिले की सभी 10 विधानसभा सीटों को जीतने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी अपने प्रतिद्वंद्वियों पर कटाक्ष करते हुए आश्रय शर्मा ने कहा कि उनके पिता की आत्मा कांग्रेस में है भाजपा में केवल उनका शरीर है|
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