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Thursday, June 04, 2020

इंसानों से हारकर हथिनी ने तोड़ा दम, अक्षय कुमार ने जताया गुस्सा

इंसानों से हारकर हथिनी ने तोड़ा दम, अक्षय कुमार ने जताया गुस्सा
 

जब अभिनेता अक्षय कुमार ने अपनी प्रतिक्रिया दी और फेसबुक पोस्ट कर अपना गुस्सा जताया और इस पर जल्द से जल्द सजा की मांग की तो लगा कि जैसे कोई  प्रवासी श्रमिक या हिंसा जैसा मुद्दा है पर जब खबर पढ़ी तो होश ही उड़ गए कि इंसान कितना निर्मम और क्रूर हो गया है बात केरल की है जब मानवीय मूल्यों को दरिंदगी के आगे मुंह की खानी पड़ी और इसका खामियाजा भुगतना पड़ा दो मासूम जानों को एक माँ और दूसरा उसके पेट में पल रहे मासूम बच्चे को। आखिर क्या गलती थी उस हथिनी की जिसने भूखी होने के कारण मनुष्य पर विश्वास किया ? क्या गलती थी उस बच्चे की जिसने इस मनुष्य प्रधान धरती को देखने से पहले ही जान गवां दी ? वन विभाग के कर्मियों ने जब देखा तो हथिनी दर्द और जलन से बचने के लिए बीच पानी में खड़ी थी और अपनी मौत को देख रही थी हाथ पैर सुन्न पड़ चुके थे मुंह में उसके आग सा विस्फोट हुआ था फेफड़ों में धुआं भर चुका था शरीर जवाब दे रहा था मुश्किल से बस वह खड़ी हो पा रही थी आंखों से आंसू निकाल रहे थे पैर कांप रहे थे बोल वो सकती नहीं थी  उसकी कोख में पल रहे उसके लाडले ने कल ही उसे अंदर से आहट दी थी अपने पेट में पल रहे बच्चे के लिए जीना चाहती थी और फिर अचानक उससे खड़ा नहीं रहा गया और एकाएक वो पानी में गिर पड़ी और इस क्रूर निर्मम दुनिया से अलविदा कह दिया उसने अपने जीवन में कोई गलती नहीं की बजाय इसके कि उसने इंसान पर भरोसा किया और अनानास को अनानास समझा पटाखा नहीं और अंततः वो ज़िन्दगी से हार गई और इंसान फिर एक बार जीत गया पर सवाल ये है कि क्या हम इतने गिर गए हैं कि हमें अपनी मौज के आगे दूसरों की जान की कोई परवाह नहीं । अगर ये मानव सभ्यता का भविष्य है तो मनुष्य को जीने का कोई हक नहीं आज जितना दर्द इंसान सहन कर रहा है ये उसके खुद के कर्मों का फल है चाहे वो ऑस्ट्रेलिया के जंगलों की आग हो या अब ये दुर्दांत कृत्य सारे मानवीय ही हैं या तो हमें खुद सुधारना होगा या फिर प्रकृति हमसे बदला लेगी और हम विवश होकर अपना ही अंत देखेंगे ।


लेखक - प्रफ़ुल्ल भट्ट


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