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Monday, October 29, 2018

सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों के बीच होगी अयोध्या में मंदिर पर सुनवाई

मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई आज की सुनवाई में अदालत ये तय कर सकती है कि दशकों से चले आ रहे इस मामले की नियमित सुनवाई कब से शुरु होगी। इस अहम सुनवाई से पहले देश की राजनीति एक बार फिर सुलग रही है।

मुख्यन्यायाधीश रंजन गोगोई, जस्टिस संजय किशन कौल और केएम जोसेफ की नई बेंच इस मामले की सुनवाई करेगी। अब तक इस मामले पर पूर्व मुख्यन्यायाधीश दीपक मिश्रा, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एस अब्दुल नजीर की स्पेशल बेंच सुनवाई कर रही थी। जस्टिस दीपक मिश्रा के रिटायर होने के बाद कल ये मामला पहली बार सुनवाई के लिए आ रहा है।मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई को तय करना है कि अयोध्या मामले की सुनवाई पहले की तरह विशेष बेंच करेगी और अगुवाई वो खुद करेंगे या कल वाली बेंच जिसमें उनके साथ जस्टिस संजय किशन कौल और केएम जोसेफ हैं वो बेंच सुनवाई करेगी। इससे पहले 27 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने अपने अहम फैसले में कहा था कि अयोध्या मामले को संवैधानिक बेंच के पास नहीं भेजा जाएगा। इसके मायने ये हुए कि अब जमीन किसकी है, सुनवाई यहां से होगी।
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई से पहले ही इस पर एक बार फिर बयानबाजी शुरु हो गई है। बीजेपी अध्यक्ष ने सबरीमाला के बहाने अयोध्या मामले पर पार्टी का स्टैंड एक बार फिर साफ किया। वहीं यूपी के सीएम योगी का कहना है कि कोर्ट का फैसला जल्द आना चाहिए। नेताओं की नजर इस वक्त 2019 लोकसभा चुनाव पर भी है लिहाजा यूपी के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने बयान दिया कि अगर सुप्रीम कोर्ट का फैसला मंदिर के खिलाफ आता है तो कानून लाकर मंदिर बनाया जाएगा। कुछ ऐसी ही बात विजय दशमी पर संघ प्रमुख ने कही थी। आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य जफरयाब जिलानी ने कहा कि अगर सरकार कानून लाई तो वो फिर से अदालत का दरवाजा खटखटाएंगे।
इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने लंबी सुनवाई के बाद 2010 में जन्मभूमि विवाद में फैसला सुनाते हुए 2.77 एकड़ जमीन को तीनों पक्षों में बांटने का आदेश दिया था । हाईकोर्ट ने विवादित जमीन का एक-तिहाई हिस्सा यानी राम चबूतरा और सीता रसोई वाली जगह निर्मोही अखाड़ा को रामलला की मूर्ति वाली जगह रामललाल विराजमान को और विवादित जमीन का बचा हिस्सा सुन्नी वक्फ बोर्ड को देने का फैसला सुनाया । जमीन बंटवारे का हाइकोर्ट का ये फैसला तोनों पक्षों को मंजूर नहीं हुआ। इसीलिए, आज तीनों पक्ष पूरी विवादित जमीन पर कब्जे के लिए सुप्रीम कोर्ट में हैं।

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