आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट (आईएस) के पास करबी तीन महीनों तक सेक्स गुलाम रही यजिदी लड़की नादिया मुराद को नोबेल शांति पुरस्कार के लिए चुना गया है।
महिला अधिकारों के लिए शानदार कार्य करने तथा यौन हिंसा के खिलाफ प्रभावी मुहिम चलाने के एवज में उन्हें यह सम्मान दिया गया है। नादिया के साथ कांगो के डॉक्टर डेनिस मुकवेगे को भी प्रतिष्ठित सम्मान देने की घोषणा की गई।नादिया इस सम्मान से अभिभूत हैं और उन्होंने कहा है कि वह अवॉर्ड याजिदी, इराकी, कुर्द, अन्य पीड़ित अल्पसंख्यों तथा दुनियाभर में यौन उत्पीड़न का शिकार हुए अनगिनत लोगों को समर्पित करना चाहेंगी। उल्लेखनीय है कि नादिया को यह पुरस्कार यौन हिंसा के खिलाफ प्रभावी मुहिम चलाने और महिला अधिकारों के लिए उत्कृष्ट कार्य के बदले दिया गया है।आईएस के लड़ाकों ने 2014 में नादिया मुराद का अपहरण उत्तरी इराक से किया। उस समय मुराद 21 साल की थी।रेप पीड़िता नादिया मुराद को आतंकी संगठन आईएस के लड़ाकों ने सेक्स गुलाम बनाया था। किसी तरह वहां से बच निकलने के बाद नादिया इस समय पूरी दुनिया में महिलाओं को यौन हिंसा के खिलाफ जागरुक करने का कार्य कर रही हैं।कौन है नादिया मुराद2014 में इस्लामिक स्टेट (आईएस) के लड़ाकों ने नादिया मुराद का अपहरण कर लिया था। उस समय नादिया की उम्र महज 21 साल थी।आईएस के चंगुल में नादिया के साथ लगातार गैंगरेप किया गया, यही नहीं उसे तरह-तरह की शारीरीक और मानसिक यातनाएं भी दी गईं।एक कमरे में बंधक बनाकर रखी गई नादिया किसी तरह दीवार फांदकर भागने में कामयाब रही और बाद में जर्मनी में जाकर शरण ली।2015 में नादिया ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में जब अपनी व्यथा सुनाई तो विश्वभर से प्रतिक्रियाएं आईं। तब नादिया ने बताया था कि आईएस के आतंकी महिलाओं और लड़कियों को पूरी तरह से बर्बाद करने के लिए रेप करते हैं।नादिया ने बताया था कि आईएस की यातनाएं इतनी भयानक होती हैं कि महिलाएं इसके बाद अपना सामान्य जीवन नहीं जी सकती हैं।मानव तस्करी के पीड़ितों की मदद करने के लिए 2016 में नादिया को संयुक्त राष्ट्र ने अपना गुडविल एंबेसडर बनाया। अपने लोगों को न्याय दिलाने के लिए नादिया वैश्विक स्तर पर अपने नई आवाज बनी।नादिया पर एक किताब भी आ चुकी है जिसका नाम लास्ट गर्ल है, जिसमें उनके बचपन और इराक के ग्रामीण इलाकों के लोगों का वर्णन है।
महिला अधिकारों के लिए शानदार कार्य करने तथा यौन हिंसा के खिलाफ प्रभावी मुहिम चलाने के एवज में उन्हें यह सम्मान दिया गया है। नादिया के साथ कांगो के डॉक्टर डेनिस मुकवेगे को भी प्रतिष्ठित सम्मान देने की घोषणा की गई।नादिया इस सम्मान से अभिभूत हैं और उन्होंने कहा है कि वह अवॉर्ड याजिदी, इराकी, कुर्द, अन्य पीड़ित अल्पसंख्यों तथा दुनियाभर में यौन उत्पीड़न का शिकार हुए अनगिनत लोगों को समर्पित करना चाहेंगी। उल्लेखनीय है कि नादिया को यह पुरस्कार यौन हिंसा के खिलाफ प्रभावी मुहिम चलाने और महिला अधिकारों के लिए उत्कृष्ट कार्य के बदले दिया गया है।आईएस के लड़ाकों ने 2014 में नादिया मुराद का अपहरण उत्तरी इराक से किया। उस समय मुराद 21 साल की थी।रेप पीड़िता नादिया मुराद को आतंकी संगठन आईएस के लड़ाकों ने सेक्स गुलाम बनाया था। किसी तरह वहां से बच निकलने के बाद नादिया इस समय पूरी दुनिया में महिलाओं को यौन हिंसा के खिलाफ जागरुक करने का कार्य कर रही हैं।कौन है नादिया मुराद2014 में इस्लामिक स्टेट (आईएस) के लड़ाकों ने नादिया मुराद का अपहरण कर लिया था। उस समय नादिया की उम्र महज 21 साल थी।आईएस के चंगुल में नादिया के साथ लगातार गैंगरेप किया गया, यही नहीं उसे तरह-तरह की शारीरीक और मानसिक यातनाएं भी दी गईं।एक कमरे में बंधक बनाकर रखी गई नादिया किसी तरह दीवार फांदकर भागने में कामयाब रही और बाद में जर्मनी में जाकर शरण ली।2015 में नादिया ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में जब अपनी व्यथा सुनाई तो विश्वभर से प्रतिक्रियाएं आईं। तब नादिया ने बताया था कि आईएस के आतंकी महिलाओं और लड़कियों को पूरी तरह से बर्बाद करने के लिए रेप करते हैं।नादिया ने बताया था कि आईएस की यातनाएं इतनी भयानक होती हैं कि महिलाएं इसके बाद अपना सामान्य जीवन नहीं जी सकती हैं।मानव तस्करी के पीड़ितों की मदद करने के लिए 2016 में नादिया को संयुक्त राष्ट्र ने अपना गुडविल एंबेसडर बनाया। अपने लोगों को न्याय दिलाने के लिए नादिया वैश्विक स्तर पर अपने नई आवाज बनी।नादिया पर एक किताब भी आ चुकी है जिसका नाम लास्ट गर्ल है, जिसमें उनके बचपन और इराक के ग्रामीण इलाकों के लोगों का वर्णन है।
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