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Tuesday, October 09, 2018

चीन में विकास दर में गिरावट दर्ज, हो सकती हैं चीन की सरकारी कंपनियां डिफॉल्टर

अमेरिका और चीन के बीच जारी ट्रेड वॉर की आड़ में अब करेंसी वॉर भी छिड़ गया है. 
                                                         

डॉलर के मुकाबले जहां चीन के युआन और भारत के रुपए समेत दुनिया भर की करेंसी कमजोरी के दौर से गुजर रही हैं, वहीं ट्रेड वॉर के असर से चीन के विदेशी मुद्रा भंडार में भी तेज गिरावट हो रही है.
चीनी राष्ट्रीय विदेशी मुद्रा प्रबंध ब्यूरो द्वारा 7 अक्तूबर को जारी आंकड़ों के मुताबिक सितंबर के अंत तक चीन का विदेशी मुद्रा भंडार 30 खरब 87 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंचा, जो अगस्त के अंत से 22.7 अरब अमेरिकी डॉलर कम हुआ. इस तरह चीन के विदेशी मुद्रा भंडार में एक महीने के दौरान 0.7 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई.
आंकड़ों के मुताबिक चीन का विदेशी मुद्रा भंडार सितंबर में 23 अरब डॉलर कम होकर 3.087 ट्रिलियन डॉलर हो गया है. अगस्त में चीन का रिजर्व 3.105 ट्रिलियन डॉलर था. वहीं अमेरिका में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल की शुरुआत पर चीन का यह भंडार 4 ट्रिलियन डॉलर के स्तर पर था.
चीन के पास है दुनिया का सबसे बड़ा डॉलर रिजर्व
चीन, अमेरिका का सबसे बड़ा ट्रेडिंग पार्टनर है और अमेरिका-चीन व्यापार बीते एक दशक से भी अधिक समय से चीन के पक्ष में रहा है. यानी अमेरिका को चीन से कारोबार में बड़ा व्यापार घाटा उठाना पड़ता है. सामान्य शब्दों में कहें तो अमेरिका के मुकाबले चीन अपना ज्यादा उत्पाद अमेरिका को बेच रहा है और इसके चलते उसके पास दुनिया का सबसे बड़ा डॉलर रिजर्व एकत्र हो रहा है.
गंभीर आर्थिक संकट के मुहाने पर हो जाएगा खड़ा
आर्थिक जानकारों का दावा है कि चीन के पास अभी भी 3 ट्रिलियन डॉलर का डॉलर रिजर्व है और मौजूदा ट्रेड वॉर में यही रिजर्व उसे ट्रेड वॉर के असर से बचाने का काम करेगा. हालांकि इस बात की संभावना से इनकार भी नहीं किया जा रहा है कि यदि ट्रेड वॉर यूं ही चलता रहा तो बहुत जल्द अंतरराष्ट्रीय व्यापार में चीन को मिली डॉलर रिजर्व की यह संजीवनी बेअसर हो जाएगी और वह एक गंभीर आर्थिक संकट के मुहाने पर खड़ा हो जाएगा.
चीन की अर्थव्यवस्था बाहरी जोखिमों का मुकाबला करने में सक्षम
हालांकि चीन के मुद्रा भंडार पर मंडरा रहे खतरे को राष्ट्रीय विदेशी मुद्रा प्रबंध ब्यूरो की प्रवक्ता वांग छुनइंग ने नकार दिया है और दावा किया है कि सितंबर में चीन का विदेशी मुद्रा बाजार लगातार स्थिर है. बाजार की मुख्य व्यापारिक गतिविधि तर्कसंगत व सुव्यवस्थित है. अंतर्राष्ट्रीय वित्त बाजार में डॉलर की सूचकांक अगस्त के अंत के बराबर है. प्रमुख देशों की बांड कीमत थोड़ा गिरी, और विदेशी मुद्रा भंडार थोड़ा कम हुआ. इस प्रवक्ता के अनुसार भविष्य में हालांकि बाहरी वातावरण में बड़ी अनिश्चितता मौजूद होगी, लेकिन चीन की अर्थव्यवस्था बाहरी जोखिमों का मुकाबला करने में सक्षम है और चीन का विदेशी मुद्रा भंडार स्थिर बना रहेगा.
हो सकती हैं चीन की सरकारी कंपनियां डिफॉल्टर
ट्रेड वॉर के साथ-साथ चीन में विकास दर में भी गिरावट दर्ज हो रही है. वहीं चीन के बैंकों के सामने कड़ी चुनौती है. एक अनुमान के मुताबिक चीन की अर्थव्यवस्था का एक तिहाई हिस्सा चीन के बैंकों के कर्ज के तौर पर है. वहीं चीन के सरकारी बैंकों के कर्ज केन्द्रीय बैंक की तय सीमा से अधिक है और ये कर्ज सरकारी कंपनियों को दिए जाने के कारण केन्द्रीय बैंक के नियंत्रण से बाहर हैं. आर्थिक जानकारों का मानना है कि यदि चीन में आर्थिक विकास दर लगातार कमजोर बनी रही या अमेरिका में ब्याज दरों में हो रहे इजाफे से चीन में वैश्विक निवेशकों को रोकने के लिए भी ब्याज दरों में तेज वृद्धि की जाए तो बड़ी संख्या में चीन की सरकारी कंपनियां डिफॉल्टर हो सकती हैं.
इसलिए डर रहा है चीन
वॉल स्ट्रीट जर्नल की एक रिपोर्ट के मुताबिक ट्रेड वॉर की मौजूदा स्थिति में चीन का अमीर तबका डरा हुआ है. रिपोर्ट के मुताबिक यह वर्ग अमेरिकी डॉलर और यूएस ट्रेजरी में निवेश को तरजीह दे रहा है. गौरतलब है कि चीन में 21 लाख परिवार इस वर्ग में हैं इनके पास स्टॉक, बॉन्ड और रियल एस्टेट में 2 ट्रिलियन डॉलर से 4 ट्रिलियन डॉलर की संपत्ति है. लिहाजा, चीन के केन्द्रीय बैंक को इस बात का भी डर है कि यदि डॉलर के मुकाबले वह युआन को सपोर्ट देने का काम करता है तो यह वर्ग अपना निवेश चीन से निकालकर अन्य अर्थव्यवस्थाओं का भी रुख कर सकता है. लिहाजा, ट्रेड वॉर की मौजूदा स्थिति भले विदेशी मुद्रा भंडार के चलते चीन को राहत दे रही है लेकिन स्थिति यूं ही कायम रही तो चीन के विदेशी मुद्रा भंडार को खाली कर डोनाल्ड ट्रंप, चीन को ट्रेड वॉर में शिकस्त देने की ताक में रहेंगे.

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