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Thursday, October 18, 2018

ND तिवारी का निधन, लंबी बीमारी के बाद जन्मदिन के दिन ही ली अंतिम सांस

नारायण दत्‍त तिवारी का 93 वर्ष की उम्र में गुरुवार को निधन हो गया. वे लंबे समय से बीमार चल रहे थे और दिल्‍ली के साकेत स्थित मैक्‍स अस्‍पताल में उन्‍होंने आखिरी सांस ली. कभी कांग्रेस के कद्दावर नेता रहे नारायण दत्त तिवारी के नाम एक ऐसा रिकॉर्ड है जो शायद ही टूटे. वो दो राज्यों के मुख्यमंत्री का पद संभाल चुके हैं. उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड. उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने एनडी तिवारी के निधन पर शोक जताया है. उन्होंने ट्वीट किया, 'उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री पंडित नारायण दत्त तिवारी के निधन पर गहरा दुःख व्यक्त करता हूं. ईश्वर से उनकी दिवंगत आत्मा की शांति व परिजनों को दुःख सहने की प्रार्थना करता हूं.'

यूपी-उत्तराखंड के रहे सीएम

एनडी तिवारी उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रहे हैं. बतौर यूपी सीएम उन्होंने साल 1976-77, 1984-85 और 1988-89 तक तीन बार गद्दी संभाली. इसके बाद 2002 से 2007 तक उन्होंने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री के तौर पर पांच साल का कार्यकाल पूरा किया.

एनडी तिवारी केंद्र सरकार में भी मंत्री रहे हैं. साल 1986-87 तक वो राजीव गांधी कैबिनेट में विदेश मंत्री रहे. साथ ही साल 2007 से 2009 तक वो आंध्र प्रदेश के राज्यपाल भी रहे.

जनता की यादों में उस नेता की छवि लंबे वक्त तक रहती है जो ऊंचे सियासी शिखर से धरातल पर गिरता है. उत्तराखंड के कुमाऊं इलाके के लोग नारायण दत्त तिवारी को नीची धोती वाले ब्राह्मण के तौर पर जानते हैं. वो अपने दौर के बड़े नेताओं की जमात में गिने जाते थे. वी पी सिंह, अटल बिहारी वाजपेयी, जॉर्ज फर्नांडिस, पी वी नरसिम्हाराव और लालकृष्ण आडवाणी की बराबरी के नेता माने जाते थे.

मिसाल के तौर पर ये तिवारी ही थे, जिन्होंने न्यू ओखला इंडस्ट्रियल डेवेलपमेंट अथॉरिटी (नोएडा) की कल्पना की और उसकी स्थापना की. उस वक्त वो यूपी के मुख्यमंत्री हुआ करते थे. आज नोएडा, यूपी का सबसे ज्यादा राजस्व देने वाला जिला है. नोएडा की तरह ही यूपी के कई इलाकों में औद्योगिक क्षेत्र बसाए गए ताकि तरक्की को रफ्तार दी जा सके.

छोटे और मझोले कारोबारियों को मदद के जरिए उन्होंने यूपी के आर्थिक विकास में बड़ा योगदान दिया. इसी तरह यूपी और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री के तौर पर नारायण दत्त तिवारी का कार्यकाल अगर शानदार नहीं भी रहा तो काफी अच्छा रहा था.

हालांकि उनकी जिंदगी के कुछ पहलू ऐसे भी हैं जिनसे लोग अनजान हैं. बहुत से लोगों को नहीं मालूम होगा कि तिवारी, मशहूर ब्रिटिश अर्थशास्त्री हैरॉल्ड जोसेफ लास्की के चेले थे. लास्की के आर्थिक सिद्धांतों से प्रभावित तिवारी ने उस सिद्धांत का तालमेल नेहरू के समाजवाद के साथ बिठाने की कोशिश की. तभी उन्होंने कांग्रेस ज्वाइन की.

नेहरू उन्हें पसद करते थे. वो इंदिरा गांधी के विश्वासपात्र थे. संजय गांधी के दौर में वो उनकी टीम के खास सदस्यों में गिने जाते थे, जो सरकार चला रहे थे. लेकिन उनके मीठे बर्ताव की वजह से तमाम विरोधी नेता भी उन्हें पसंद करते थे. उनकी वाजपेयी और वीपी सिंह समेत तमाम विरोधी नेताओं से खूब पटती थी.

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