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Thursday, November 08, 2018

डेमोक्रेटिक पार्टी की नेता नेनसी पलोसी संभालेंगी हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स में स्पीकर का पद

अमेरिका के मध्यावधि चुनावों में जो नतीजे आए हैं, उसके बाद डोनाल्ड ट्रंप ने हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स में अपना नियंत्रण खो दिया है. इसे ट्रंप के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है. अब ट्रंप अपने एजेंडों को बगैर अड़चन के आगे नहीं बढ़ा सकते.


अमेरिकी कांग्रेस में प्रतिनिधि सभा की कुल 435 सीटों में से 218 के बहुमत का आंकड़ा पार करते हुए डेमोक्रेटिक पार्टी ने 245 के क़रीब सीटें जीती हैं. रिपब्लिकन पार्टी को सीनेट में कुल 100 सीटों में से 51 के बजाए अब 54 सीटें मिल गई हैं.
अब तक राष्ट्रपति ट्रंप के दो साल में सीनेट और प्रतिनिधि सभा में रिपब्लिकन पार्टी को बहुमत हासिल था और प्रशासन आसानी से कई क़ानून और नीतियां मंज़ूर कराने में कामयाब रहा था. लेकिन अब ट्रंप प्रशासन के लिए ऐसा करना आसान नहीं होगा.
आठ साल के बाद डेमोक्रेटिक पार्टी को अमेरिकी कांग्रेस के लोअर चैंबर हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स में बहुमत मिला है. डेमोक्रेटिक पार्टी की नेता नेनसी पलोसी अब हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स में स्पीकर का पद संभाल सकती हैं. अमेरिका में हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स और सीनेट यानी कांग्रेस के लिए हुए चुनाव के नतीजों का ट्रंप के कार्यकाल के बाक़ी के दो साल और आगे की राजनीति पर गहरा असर पड़ेगा.
डेमोक्रेट्स को इस जीत के बाद रिपब्लिकन पार्टी की नीतियों को रोकने में भी मदद मिलेगी. हालांकि ये भी सही है कि सीनेट में ट्रंप की पार्टी का बहुमत उन्हें ताकत भी देगा. हालांकि ये बहुमत मामूली है. लेकिन ट्रंप को राहत देने वाली है. सीनेट में रिपब्लिकन पार्टी को बहुमत मिलने का मतलब है कि ट्रंप को कार्यकारी और न्यायिक नियुक्तियों में कोई चुनौती नहीं दे पाएगा.
हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स में डेमोक्रेटिक पार्टी ट्रंप प्रशासन की हर नीति की गहन छानबीन कर सकती है
पहले की नीतियों पर फिर से गौर कर सकती है
राष्ट्रपति ट्रंप के निजी व्यापार और वित्तीय मामलों की जांच कर सकती है
रूस के साथ कथित तौर पर राष्ट्रपति ट्रंप के संबंधों के आरोपों की जांच कर सकती है
राष्ट्रपति ट्रंप के ख़िलाफ़ महाभियोग की कार्रवाई भी शुरू कर सकती है
रिपब्लिकन पार्टी ने इंडियाना, नॉर्थ डकोटा और मिज़ूरी जैसे प्रांतो में अहम जीत करके सीनेट में कम से कम 54 सीटों के साथ पकड़ मज़बूत कर ली है. - प्रशासन के कुछ उच्च पदों पर नियुक्ति के लिए अधिकारियों और जजों की सीनेट में मंज़ूरी ज़रूरी होती है.ट्रंप अपने पसंद के रूढ़िवादी जजों की नियुक्ति आसानी से कर सकेंगे.
अब अमेरिकी कांग्रेस के हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स में डेमोक्रेट्स को बहुमत मिल गया है जबकि सीनेट में रिपब्लिकन बहुमत में हैं
डेमोक्रेट्स ने गवर्नरो के चुनाव में भी कई प्रांतों में कामयाबी हासिल की है. राज्यों में गर्वनर के पद पर डेमोक्रेट्स को ज्यादा जीत मिली है. इसका मतलब ये हुआ कि राज्यों से भी ट्रंप को चुनौती मिलेगी. इस बार के मध्यावधि चुनाव में कुल 50 गवर्नर में से 36 के लिए चुनाव हुए हैं. माना जा रहा है कि सारे परिणाम आने के बाद इन चुनावों में डेमोक्रेट्स गवर्नर्स ज्यादा जीत हासिल कर लेंगे.
कितने भारतीयों ने लड़ा था चुनाव
भारतीय मूल के जो 12 उम्मीदवारों ने हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स का चुनाव लड़ा था, उनमें वॉशिंगटन प्रांत से प्रमिला जयपाल, इलिनॉय ले राजा कृष्णमूर्ति और कैलिफ़ोर्निया से रो खन्ना और अमी बेरा फिर से चुनाव जीत गए. एरीज़ोना में दो महिला उम्मीदवार हीरल तिपिर्नेनी और अनीता मलिक चुनाव हार गई हैं.
प्रांतीय स्तर पर अरीज़ोना, मिशिगन, कैंटकी जैसे प्रांतों में कई भारतीय मूल के उम्मीदवार असेंबली औऱ प्रांतीय सीनेट के चुनाव में जीत गए हैं. अमेरिका के मिडटर्म चुनावों में ज्यादा वोटिंग कहीं ना कहीं ये भी दिखाती है कि लोग ट्रंप के दो साल के कामकाज से बहुत ज्यादा संतुष्ट नहीं.

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