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Thursday, November 15, 2018

टाटा संस कर सकती है जेट एयरवेज का अधिग्रहण

देश के बड़ी बिजनेस कंपनी टाटा आनेवाले दिनों में आसमान में यानी एविएशन इंडस्ट्री में भी राज करने की तैयारी में है। इसके तहत टाटा संस कर्ज के तले दबी जेट एयरवेज का अधिग्रहण करके सबसे बड़ी एविशन डील को अंजाम दे सकती है।

टाटा संस के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन शुक्रवार को बोर्ड मेंबर्स के सामने जेट एयरवेज के अधिग्रहण का योजना रख सकते हैं। अगर जेट में निवेश पर सहमति बन जाती है, तो एविएशन इंडस्ट्री में टाटा का यह अब तक का तीसरा इन्वेस्टमेंट होगा।
टाटा ग्रुप पहले से देश में दो विमानन कंपनियों का संचालन कर रही है। सिंगापुर एयरलाइंस के साथ फुल सर्विस कंपनी विस्तारा और एयरएशिया ग्रुप के साथ किफायती विमानन कंपनी एयरएशिया इंडिया।
टाटा संस की मंशा जेट में 50% से ज्यादा शेयर खरीदकर उस पर मालिकाना हक पाने की है। इसमें चेयरमैन नरेश गोयल के पास 51 प्रतिशत शेयर है। टाटा संस गोयल के पास शेयरों का 25% जबकि बाकी शेयरधारकों के पास की 26 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदना चाहती है। इससे टाटा को जेट में कुल 51 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ मेजॉरिटी कंट्रोल हासिल हो जाएगा।
अभी जेट का मार्केट वैल्यू 2,928 करोड़ रुपये है और इस पर 86 अरब का कर्ज है। टाटा से डील के बाद वह वित्तीय संकट से बाहर आ सकेगी। आर्थिक संकट की वजह से वह अपने कर्मचारियों को सैलरी तक देने में सक्षम नहीं है।
इस डील के बाद देश की एविएशन इंडस्ट्री में टाटा का शेयर बढ़कर 24 प्रतिशत हो जाएगा। बता दें कि जेट एयरवेज के पास अपना कुल 124 जहाज हैं। घरेलू मार्केट में उसकी हिस्सेदारी कुल 16 प्रतिशत और अंतरराष्ट्रीय मार्केट में 14 प्रतिशत है। वहीं, विस्तारा और एयरएशिया इंडिया की डोमेस्टिक मार्केट में हिस्सेदारी 4-4 प्रतिशत है। इन दोनों कंपनियों के इंटरनैशनल फ्लाइट्स नहीं हैं।
कहा जा रहा है कि टाटा विस्तारा और जेट एयरवेज को जोड़ भी सकती है। विस्तारा में टाटा की 51 प्रतिशत और सिंगापुर एयरलाइंस की 49 प्रतिशत हिस्सेदारी है।
कंपनी को 1,261 करोड़ रुपए का घाटा हुआ। इसके उलट पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाही कंपनी ने 71 करोड़ रुपए का मुनाफा कमाया था। दूसरी तिमाही में जेट एयरवेज की प्रतिद्वंदी कंपनी इंडिगो को भी 652.13 करोड़ रुपए का घाटा हुआ है, जबकि इससे पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाही में उसे 551.56 करोड़ रुपए का लाभ हुआ था।

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