उत्तर प्रदेश के आगरा में 12 दिन के एक बच्चे को उसकी मां की गोद से छीनकर बंदर ने मार डाला. बच्चे का शव पड़ोस के एक घर की छत पर खून में लथपथ मिला. उसके शरीर पर काटने और कुचलने के निशान थे. आगरा के कछेरा इलाके में रहने वाला यह परिवार घटना के बाद शोक में डूब गया. परिवार के मुताबिक सन्नी की मां सोमवार शाम उसे दूध पिला रही थी, तभी एक बंदर आया और उसे छीनकर भाग गया. सन्नी के परिवारवालों ने बंदर का पीछा किया, लेकिन वे उसे पकड़ नहीं पाए.
बाद में परिवारवालों को पड़ोसी की छत पर खून में सना हुआ और कई जगहों से कटा हुआ सन्नी का शव मिला. इसके बाद बच्चे को अस्पताल ले जाया गया, जहां पर उसे मृत घोषित कर दिया गया. लेकिन परिवारवालों इस पर विश्वास नहीं कर पा रहे थे, तो उसे दूसरे अस्पताल ले जाया गया. लेकिन उन्हें वहां भी निराशा हाथ लगी. परिवार अपना बच्चा खो चुका था |
पर्यावरणविद श्रवण कुमार का कहना है कि बंदरों में गुस्से की प्रवृति इसलिए ज्यादा बढ़ रही है, क्योंकि उनके प्राकृतिक ठिकाने खत्म हो रहे हैं और हरियाली दिनों दिन घट रही है. स्थानीय लोगों का कहना है कि हर दिन बंदर लोगों पर हमले कर रहे हैं और उनसे छीना झपटी करके भाग रहे हैं |
विजय नगर कॉलोनी में रहने वाली सीमा गुप्ता का कहना है कि 'लोग अपने घर की छत पर जाने की हिम्मत नहीं पाते. कईयों ने अपने घरों की छत को लोहे की छड़ों से बंद कर रखा है. आप घर का दरवाजा खुला नहीं छोड़ सकते और न ही धूप में बैठ सकत |
बाद में परिवारवालों को पड़ोसी की छत पर खून में सना हुआ और कई जगहों से कटा हुआ सन्नी का शव मिला. इसके बाद बच्चे को अस्पताल ले जाया गया, जहां पर उसे मृत घोषित कर दिया गया. लेकिन परिवारवालों इस पर विश्वास नहीं कर पा रहे थे, तो उसे दूसरे अस्पताल ले जाया गया. लेकिन उन्हें वहां भी निराशा हाथ लगी. परिवार अपना बच्चा खो चुका था |
पर्यावरणविद श्रवण कुमार का कहना है कि बंदरों में गुस्से की प्रवृति इसलिए ज्यादा बढ़ रही है, क्योंकि उनके प्राकृतिक ठिकाने खत्म हो रहे हैं और हरियाली दिनों दिन घट रही है. स्थानीय लोगों का कहना है कि हर दिन बंदर लोगों पर हमले कर रहे हैं और उनसे छीना झपटी करके भाग रहे हैं |
विजय नगर कॉलोनी में रहने वाली सीमा गुप्ता का कहना है कि 'लोग अपने घर की छत पर जाने की हिम्मत नहीं पाते. कईयों ने अपने घरों की छत को लोहे की छड़ों से बंद कर रखा है. आप घर का दरवाजा खुला नहीं छोड़ सकते और न ही धूप में बैठ सकत |
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