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Friday, November 30, 2018

भारत की उम्मीदों पर फिरा पानी, मालदीव की धरती का प्रयोग दूसरे देश के मिलिट्री बेस के लिए नहीं होग

भारत की उम्मीदों पर फिरा पानी, मालदीव की धरती का प्रयोग दूसरे देश के मिलिट्री बेस के लिए नहीं किया जायगा. 

मालदीव की सरकार ने भारत को बड़ा झटका देते हुए उन तमाम मीडिया रिपोर्ट्स को गलत बताया है जिनमें भारत की तरफ से मिल रही मदद के बदले भारतीय सैन्य टुकड़ियों को मालदीव भेजने की अनुमति दे दी गई है. उन्होंने अपने ट्विटर एकाउंट पर लिखा कि हम मालदीव में भारत सरकार द्वारा यहां मिलिट्री बेस बनाने की बात कही गई थी.उन्होंने आगे लिखा कि यह पूरी तरह से आधारहीन है. हम देश की जनता को बताना चाहते हैं कि मौजूदा सरकार हमेशा राष्ट्र के फायदे को ध्यान में रखकर काम करती है. और हम ऐसा कोई अंतरराष्ट्रीय संबंध स्थापित नहीं करेंगे जिसकी मदद से देश की संप्रभुता और आजादी से समझौता करना पड़े.
पीएम मोदी आर्थिक तंगी से जूझ रहे मालदीव को आश्वासन दिया है कि वह उन्हें इस स्थिति से निकालने में उनकी हर संभव मदद करेंगे. पीएम मोदी ने मालदीव के नए राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सोलिह से इस बाबत बात भी की. खास बात यह है कि मालदीव को नए राष्ट्रपति ने पद संभालने के बाद कहा था कि देश की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है.उन्होंने कहा था कि जिस तरह से चीन ऋणताओं के साथ बुनियादी ढांचे में उछाल के बाद देश को वित्तीय कठिनाई हो रही है, वह हमारी अर्थव्यस्था के लिए सही नहीं है. भारतीय विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा कि पीएम मोदी ने मालदीव को आर्थिक तंगी से निकालने के लिए राष्ट्रपति को हर संभव मदद की बात कही है.
चीन ने मालदीव में अपनी अपना निवेश बढ़ाया है.चाहे बात रोड बनाने की हो या फिर हाई-वे या होटल, चीन हर क्षेत्र में निवेश के लिए मालदीव में अपना पैसा लगा रहा है. हाल ही में दुनिया में अपने रिसार्ट के लिए जाने जाने वाले पालम फ्रेंड द्वीप पर बड़ी मात्रा में निवेश कर रहा है.चीन ने यहां घर, होटल और रोड पर बड़े पैमाने पर निवेश किया है. लेकिन इस वजह से चार लाख से ज्यादा लोगों ने को मालदीव छोड़ना पड़ा. पिछली सरकार के समय में किस आधार पर चीनी कंपनियों को ठेके दिए गए. देश के नए राष्ट्रपति ने अपने शपथ ग्रहण समारोह के दौरान कहा कि देश की वित्तीय स्थिति बेहद खराब है.

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