सूचना प्रौद्योगिकी नियमों में बदलाव को लेकर एक्सपर्ट चिंतित बोले निजता और अभिव्यक्ति के लिए खतरा.
सोशल मीडिया और ऑनलाइन मंचों की बेहतर निगरानी के लिए सरकार की ओर से सूचना प्रौद्योगिकी नियमों में बदलाव की योजना बनाई है. आईटी और विधि विशेषज्ञों ने चिंताई जताई है. उनका कहना है कि इससे अधिकारियों को उपयोगकर्ताओं का डेटा मांगने की छूट होगी जो निजता और अभिव्यक्ति के लिए खतरा होगा. इससे हमारे साइबर कानून को भारत से बाहर स्थित इकाइयों पर भी लागू करने में मदद मिलेगी. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि इसमें 50 लाख से अधिक के प्रयोगकर्ताओं वाली मध्यस्थ इकाइयों के लिए भारत में स्थायी कार्यालय रखना और विधि प्रवर्तन एजेंसियों के साथ संयोजन के लिए नोडल अधिकारी की नियुक्ति करने का प्रावधान मनमाना है और जमीनी वास्तविकता पर आधारित नहीं है. डिजिटल अधिकार कार्यकर्ता निखिल पाहवा ने कहा कि आईटी कानून में जिन बदलावों का प्रस्ताव किया गया है वे नागरिकों, लोकतंत्र तथा अभिव्यक्ति के लिए 'हानिकारक' हैं. एक अन्य उद्योग विशेषज्ञ ने कहा कि गैरकानूनी सूचना या सामग्री को परिभाषित नहीं किया गया है. इसी तरह मंचों के लिए जो 50 लाख से अधिक के प्रयोगकर्ताओं की शर्त का प्रस्ताव किया गया है.विशेषज्ञ ने कहा कि गैरकानूनी सूचना या सामग्री को परिभाषित नहीं किया गया.अधिकारियों को उपयोगकर्ताओं का डेटा मांगने की छूट होगी जो निजता और अभिव्यक्ति के लिए खतरा हो सकता है.
सोशल मीडिया और ऑनलाइन मंचों की बेहतर निगरानी के लिए सरकार की ओर से सूचना प्रौद्योगिकी नियमों में बदलाव की योजना बनाई है. आईटी और विधि विशेषज्ञों ने चिंताई जताई है. उनका कहना है कि इससे अधिकारियों को उपयोगकर्ताओं का डेटा मांगने की छूट होगी जो निजता और अभिव्यक्ति के लिए खतरा होगा. इससे हमारे साइबर कानून को भारत से बाहर स्थित इकाइयों पर भी लागू करने में मदद मिलेगी. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि इसमें 50 लाख से अधिक के प्रयोगकर्ताओं वाली मध्यस्थ इकाइयों के लिए भारत में स्थायी कार्यालय रखना और विधि प्रवर्तन एजेंसियों के साथ संयोजन के लिए नोडल अधिकारी की नियुक्ति करने का प्रावधान मनमाना है और जमीनी वास्तविकता पर आधारित नहीं है. डिजिटल अधिकार कार्यकर्ता निखिल पाहवा ने कहा कि आईटी कानून में जिन बदलावों का प्रस्ताव किया गया है वे नागरिकों, लोकतंत्र तथा अभिव्यक्ति के लिए 'हानिकारक' हैं. एक अन्य उद्योग विशेषज्ञ ने कहा कि गैरकानूनी सूचना या सामग्री को परिभाषित नहीं किया गया है. इसी तरह मंचों के लिए जो 50 लाख से अधिक के प्रयोगकर्ताओं की शर्त का प्रस्ताव किया गया है.विशेषज्ञ ने कहा कि गैरकानूनी सूचना या सामग्री को परिभाषित नहीं किया गया.अधिकारियों को उपयोगकर्ताओं का डेटा मांगने की छूट होगी जो निजता और अभिव्यक्ति के लिए खतरा हो सकता है.
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