बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल राज्य सरकार पर लगा सकता है हर महीने दस करोड़ का जुर्माना.
देश की राजधानी दिल्ली को विश्व का सबसे प्रदूषित शहर में से एक माना जाता है. यहां हवा की गुणवत्ता दिनों दिन खराब होती जा रही है. नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल द्वारा राज्य सरकार पर 25 करोड़ रुपये के लगाए गए जुर्माने का भी कोई असर नहीं हुआ है. लोग आज भी प्लास्टिक जला रहे हैं और उन्हें रोकने के लिए भी कोई नहीं है. दिल्ली सरकार ऐसे लोगों को रोक पाने में पूरी तरह असफल रही है. दिल्ली सरकार को एनजीटी के आदेश सही से लागू न करने की स्थिति में अतिरिक्त 25 करोड़ रुपये सिक्यूरिटी डिपोजिट के तौर पर भी जमा कराने के लिए कहा गया था.नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने कहा है कि अगर दिल्ली सरकार आदेशो का पालन नहीं करती है तो उनपर हर महीने दस करोड़ जुर्माना लगाया जा सकता है. कोर्ट ने कहा था कि दिल्ली सरकार जुर्माने की रकम को प्रदूषण फैलाने वालों और आदेशो का सही तरह से पालन न करने वाले लापरवाह अधिकारियों से वसूल सकती है. दिल्ली में हवा की गुणवत्ता दिनो दिन बहुत खराब होती जा रही है. सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के अनुसार दिल्ली मे हवा की गुणवत्ता 355 है.
किस वजह से बढ़ रहा है प्रदूषण:-
लोग नियमों का पालन नहीं कर प्लास्टिक व अन्य चीजें खुलेतौर पर जलाते दिख रहे है . आग के आसपास से गुजरने वाले लोग प्लास्टिक थैलियां को आग में फेंकते भी देखे गए है . कई ट्रक आसपास के बाजार से कचरा उठाकर यहां डालते भी देखे गए है.
जलते कूड़े के कारण आकाश में काला धूंआ साफ तौर पर दिख रहा था लेकिन इसकी परवाह किसी को नहीं दिखी. वर्ष 2013 में एनजीटी ने दिल्ली में प्रदूषण कम करने और प्लास्टिक जलाने वालों को रोकने के लिए कानून बनाया था. ध्यान हो कि यह कोई पहला मौका नहीं जब नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने बढ़ते प्रदूषण को दखते हुए चिंता जाहिर की है.
लोग नियमों का पालन नहीं कर प्लास्टिक व अन्य चीजें खुलेतौर पर जलाते दिख रहे है . आग के आसपास से गुजरने वाले लोग प्लास्टिक थैलियां को आग में फेंकते भी देखे गए है . कई ट्रक आसपास के बाजार से कचरा उठाकर यहां डालते भी देखे गए है.
जलते कूड़े के कारण आकाश में काला धूंआ साफ तौर पर दिख रहा था लेकिन इसकी परवाह किसी को नहीं दिखी. वर्ष 2013 में एनजीटी ने दिल्ली में प्रदूषण कम करने और प्लास्टिक जलाने वालों को रोकने के लिए कानून बनाया था. ध्यान हो कि यह कोई पहला मौका नहीं जब नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने बढ़ते प्रदूषण को दखते हुए चिंता जाहिर की है.
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