उत्तर प्रदेश में बाहुबल रघुराज प्रताप सिंह यानी राजा भैया एक बार फिर सियासत में अपना दम दिखा रहे हैं. इस बार कुंडा के राजा अपनी नई पार्टी लेकर सामने आए हैं.
भतीजे अखिलेश यादव से मनमुटाव के बाद समाजवादी पार्टी छोड़कर सेक्युलर मोर्चा बना चुके शिवपाल यादव भी चुनावी मैदान में हैं. शिवपाल यादव और राजा भैया की पार्टियां किस तरह लोकसभा चुनाव में अपना असर छोड़ेगी, ये तो वक्त ही बताएगा. लेकिन, भारतीय जनता पार्टी इसे एक ऐसे मौके की तरह देख रही है, जो कांग्रेस समेत बाकी पार्टियों को मात देने में भगवा पार्टी की ताकत बढ़ा सकती है.
शिवपाल और राजा भैया की पार्टियों के बारे में यूपी कांग्रेस के प्रवक्ता हिलाल नकवी कहते हैं कि इन दोनों नेताओं का एक विशेष क्षेत्र है, जहां से ये दोनों नेता चुनाव जीतते आए हैं. राजा भैया प्रतापगढ़ के कुंडा और शिवपाल इटावा की जसवंतनगर सीट से चुनाव जीतते हैं. इन दोनों इलाकों को छोड़कर दोनों नेताओं का कोई खास असर नहीं है. उन्होंने बताया कि बीजेपी की हमेशा मंशा रहती है कि वो ज्यादा से ज्यादा वोटों का बंटवारा कर सके.
शिवपाल पहले ही कह चुके हैं कि इस आम चुनाव में उनकी पार्टी सभी सीटों पर अपने उम्मीदवार उतरेगी. यहां तक कि वह अपने भतीजे और समाजवादी पार्टी चीफ अखिलेश यादव के खिलाफ भी प्रत्याशी खड़ा करेंगे. अभी तक अखिलेश यादव ने सार्वजनिक रूप से अपने चाचा शिवपाल यादव के इस ऐलान पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन कई कार्यक्रमों में इशारों-इशारों में उन्होंने भी जता दिया है कि वो हर चुनौती का सामना करने के लिए तैयार हैं. सियासी गलियारों में ऐसी चर्चा है कि शिवपाल यादव की नई पार्टी बनाने के पीछे बीजेपी का सहयोग है.
शिवपाल के अलावा यूपी के एक और जाने-माने नेता रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया भी बीजेपी के लिए फायदेमंद साबित हो सकते हैं. बीजेपी शिवपाल यादव और राजा भैया को क्रॉसवर्ड के ऐसे दो हिस्सों के रूप में देख रही है, जिनके बिना पहेली सुलझाई नहीं जा सकती.राजा भैया पहले बहुजन समाज पार्टी में थे. 2002 में उन्होंने मायावती सरकार के खिलाफ बगावत कर दिया और सपा की साइकिल पर सवार हो गए. कुंडा विधानसभा क्षेत्र से लगातार छह बार से निर्दलीय विधायक निर्वाचित हो रहे राजा भैया का दो विधानसभा क्षेत्र, एमएलसी जिला पंचायत, आठ ब्लॉकों में कब्जा है. उनका साथ बीजेपी को भी काफी अच्छा लगा. साल 2002 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने कुंडा, बिहार सीट से उन्हें टिकट दिया था.
शिवपाल यादव और राजा भैया दोनों बीजेपी के लिए 'बी' टीम के रूप में काम कर रहे हैं.' शिवपाल यादव और राजा भैया की नई पार्टी पर अनुराग भदौरिया ने दावा किया कि इस तरह की पार्टियां चुनाव से पहले बहुत बनती और बिगड़ती हैं. इनसे कोई फर्क नहीं पड़ेगा.
शिवपाल और राजा भैया की पार्टियों के बारे में यूपी कांग्रेस के प्रवक्ता हिलाल नकवी कहते हैं कि इन दोनों नेताओं का एक विशेष क्षेत्र है, जहां से ये दोनों नेता चुनाव जीतते आए हैं. राजा भैया प्रतापगढ़ के कुंडा और शिवपाल इटावा की जसवंतनगर सीट से चुनाव जीतते हैं. इन दोनों इलाकों को छोड़कर दोनों नेताओं का कोई खास असर नहीं है. उन्होंने बताया कि बीजेपी की हमेशा मंशा रहती है कि वो ज्यादा से ज्यादा वोटों का बंटवारा कर सके.
शिवपाल पहले ही कह चुके हैं कि इस आम चुनाव में उनकी पार्टी सभी सीटों पर अपने उम्मीदवार उतरेगी. यहां तक कि वह अपने भतीजे और समाजवादी पार्टी चीफ अखिलेश यादव के खिलाफ भी प्रत्याशी खड़ा करेंगे. अभी तक अखिलेश यादव ने सार्वजनिक रूप से अपने चाचा शिवपाल यादव के इस ऐलान पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन कई कार्यक्रमों में इशारों-इशारों में उन्होंने भी जता दिया है कि वो हर चुनौती का सामना करने के लिए तैयार हैं. सियासी गलियारों में ऐसी चर्चा है कि शिवपाल यादव की नई पार्टी बनाने के पीछे बीजेपी का सहयोग है.
शिवपाल के अलावा यूपी के एक और जाने-माने नेता रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया भी बीजेपी के लिए फायदेमंद साबित हो सकते हैं. बीजेपी शिवपाल यादव और राजा भैया को क्रॉसवर्ड के ऐसे दो हिस्सों के रूप में देख रही है, जिनके बिना पहेली सुलझाई नहीं जा सकती.राजा भैया पहले बहुजन समाज पार्टी में थे. 2002 में उन्होंने मायावती सरकार के खिलाफ बगावत कर दिया और सपा की साइकिल पर सवार हो गए. कुंडा विधानसभा क्षेत्र से लगातार छह बार से निर्दलीय विधायक निर्वाचित हो रहे राजा भैया का दो विधानसभा क्षेत्र, एमएलसी जिला पंचायत, आठ ब्लॉकों में कब्जा है. उनका साथ बीजेपी को भी काफी अच्छा लगा. साल 2002 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने कुंडा, बिहार सीट से उन्हें टिकट दिया था.
शिवपाल यादव और राजा भैया दोनों बीजेपी के लिए 'बी' टीम के रूप में काम कर रहे हैं.' शिवपाल यादव और राजा भैया की नई पार्टी पर अनुराग भदौरिया ने दावा किया कि इस तरह की पार्टियां चुनाव से पहले बहुत बनती और बिगड़ती हैं. इनसे कोई फर्क नहीं पड़ेगा.
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