GST काउंसिल के बाद छोटे कारोबारियों को मिली बड़ी राहत.
(After the GST Council, small businessmen got big relief)जीएसटी काउंसिल ने छोटे कारोबारियों को राहत देने के लिए कई बदलावों का ऐलान किया। काउंसिल ने जीएसटी रजिस्ट्रेशन और टैक्स पेमेंट से छूट की सीमा दोगुनी कर 40 लाख रुपये कर दी और कंपोजिशन स्कीम में शामिल होने की चाहत रखने वाले सर्विस प्रोवाइडर्स के लिए टर्नओवर लिमिट बढ़ा दी।
काउंसिल के अध्यक्ष वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा, 'आज की बैठक में स्ट्रक्चर और प्रोसिजर से जुड़े कई आइटम थे। हमने कंपोजिशन स्कीम की लिमिट 1 करोड़ से बढ़ाकर 1.5 करोड़ रुपये कर दी।' उन्होंने कहा, 'यह निर्णय 1 अप्रैल 2019 से लागू होगा।'जेटली ने कहा, 'हमने दो स्लैब्स के साथ ट्विन स्ट्रक्चर बनाए रखने का निर्णय किया है। 20 लाख रुपये की सीमा दोगुनी कर 40 लाख रुपये कर दी गई है। वहीं छोटे राज्यों के लिए एग्जेम्प्शन लिमिट 20 लाख रुपये पर रखी गई है।' उन्होंने कहा कि राज्यों के पास ऊंची लिमिट 'चुनने' का विकल्प होगा और जिन राज्यों को असेसीज की संख्या घटने की फिक्र हो, वे निचली सीमा 'चुन सकते हैं।'
पुडुचेरी और छत्तीसगढ़ की अगुवाई में कांग्रेस शासित राज्यों ने थ्रेशोल्ड बढ़ाने का विरोध किया। शुरुआती प्रस्ताव इसे बढ़ाकर 50 लाख रुपये करने का था, लेकिन आम सहमति से इसे 40 लाख रुपये कर दिया गया।
1 जुलाई 2017 को जीएसटी लागू होने के बाद से काउंसिल इसके नियमों में बदलाव करती आ रही है। जीएसटी में हुए बदलाव के बाद छोटे कारोबारियों को बड़ी राहत मिली है.
जेटली ने कहा कि कंपोजिशन स्कीम सर्विसेज और मिक्स्ड गुड्स एंड सर्विसेज सप्लायर्स के लिए अवलेबल होगी और पिछले फाइनेंशियल ईयर में उनका सालाना टर्नओवर 50 लाख रुपये का हो तो उनके लिए टैक्स रेट 6 प्रतिशत (3 प्रतिशत सेंट्रल जीएसटी और 3 प्रतिशत स्टेट जीएसटी) होगा।
कंपोजिशन स्कीम छोटे कारोबारियों के लिए है जिसमें उन्हें एक फ्लैट रेट से टैक्स देना होता है और इसमें ज्यादा दस्तावेजों का झमेला नहीं होता।
इस स्कीम को चुनने वाले कारोबारी इनपुट टैक्स क्रेडिट क्लेम नहीं कर सकते। काउंसिल ने यह भी तय किया कि कंपोजिशन स्कीम चुनने वालों को अपने रिटर्न साल में एक बार ही फाइल करने होंगे। हालांकि टैक्स पेमेंट तिमाही आधार पर ही चलता रहेगा। यह सुविधा 1 अप्रैल से प्रभावी होगी।
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