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Wednesday, February 27, 2019

भारतीय वायु सेना द्वारा आतंकी हमले के बाद अभी भी जिन्दा है आतंक के बाप अजहर और हाफिज सईद

भारतीय वायु सेना द्वारा आतंकी हमले के बाद अभी भी जिन्दा है आतंक के बाप अजहर और हाफिज सईद.

(After the terrorist attack by the Indian Air Force, still alive, Azhar and Hafiz Saeed)
भारतीय वायु सेना ने वो काम किया जो पाकिस्तान ने कभी सोचा भी नहीं होगा. बालाकोट में भारतीय वायुसेना के विमान घुसे और तकरीबन 300 दहशतगर्दों को ढेर कर दिया. जमींदोज हुए ये आतंकी वो थे जो हिंदुस्तान को दहलाने के मंसूबे पालते थे. इस हमले की भले ही चौतरफा तारीफ की जा रही हो लेकिन यह याद रखना होगा कि पाकिस्तान अब भी उन दरिंदों को पाल रहा है जो भारत में आतंकी नरसंहार के दोषी हैं. इनमें दो नाम अहम हैं- मौलाना मसूद अजहर और हाफिज सईद अभी भी जिन्दा है.
भारतीय सुरक्षा एजेंसियों और सेना के रडार पर इन दोनों की शिनाख्त कब की हो चुकी है लेकिन अफसोस कि खुद को एक इस्लामिक लोकतंत्र कहने वाला पाकिस्तान आतंकियों की रहनुमाई में लगा है. जी हां, अजहर और सईद अब तक बचते रहे हैं तो इसके पीछे वहां की सियासत और वहां के हुक्मरान जिम्मेदार हैं.


1994 से छका रहा है अजहर:-
पाकिस्तान इन्हें क्यों बचाता रहा है और इसके आर्थिक और सामरिक आशय क्या हैं इसके विवरण पर न भी जाएं तो इतना तो तय है कि भारतीय एजेंसियां सन 1994 से अजहर के पीछे पड़ी हैं लेकिन वह वक्त बे वक्त बच निकलता है. अगर थोड़ा और पीछे जाएं तो मामला 1994 का है. फरवरी 1994 में अजहर को अनंतनाग में गिरफ्तार किया गया था. अजहर तब पुर्तगाली पासपोर्ट पर बांग्लादेश के रास्ते भारत में दाखिल हुआ था. उसके साथ एक और आतंकी सज्जाद अफगानी था. सेना को अफगानी के बारे में जानकारी तो थी लेकिन अजहर तब तक उतना कुख्यात नहीं था. लिहाजा सैन्यकर्मियों ने अफगानी को निशाना बनाते हुए दोनों को दौड़ाया. अफगानी के साथ अजहर भी पकड़ा गया. दुर्भाग्यवश दिल्ली में एक विदेशी नागरिक को बचाने के लिए अजहर को छोड़ना पड़ा. इसके बाद वह फिर पकड़ा गया. 1999 का वह वाकया भी सबको याद है जब कंधार विमान हाईजैक में उसे रिहा किया गया. उसके बाद भारतीय संसद पर हमला, पठानकोट और उरी की घटनाएं हमारे सामने हैं जिसके पीछे अजहर का हाथ है.


पाक सेना में पलते है आतंकी:-अजहर हो या सईद, इन पर कार्रवाई की जब बात होती है तो वहां की सरकारें इसमें आगे तो आती हैं लेकिन एक्शन मामूली होते हैं क्योंकि बीच में वहां की सेना आड़े आ जाती है. सेना ही है जिसने कई कई आतंकी पाल रखे हैं. भारत हो या अफगानिस्तान, या फिर रूस के चेचेन्या तक, पाकपरस्त आतंकियों के तार दहशतगर्दी से जुड़ते आए हैं. साल 2014 की पेशावर की घटना याद करिए. एक स्कूल में तालिबानी आतंकियों ने हमले किए जिसमें 166 लोग मारे गए, इनमें ज्यादातर बेगुनाह बच्चे शामिल थे. तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने तब ऐलान किया कि भविष्य में 'अच्छे और बुरे' आतंकियों में अंतर किए बिना कड़ी कार्रवाई की जाएगी. शरीफ का अच्छे तालिबानी से मतलब उन आतंकियों से था जो सेना की मदद करते आए थे.

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